JANVI - राख से उठती लौ - 3

(18)
  • 387
  • 1
  • 120

जहां रिश्ते टूटे, वहां एक रिश्ता बना"कुछ रिश्ते खून से नहीं, समय और समझ से बनते हैं... और वो सबसे गहरे होते हैं।"जानवी उस दिन पंकज से मिलकर लौटी थी। बाहर से शांत, लेकिन अंदर से जैसे पूरी कायनात रो रही थी। जिस इंसान पर उसने पहली बार भरोसा करना सीखा, उसने वही भरोसा शर्तों में तोल दिया था। उस रात वो देर तक छत पर बैठी रही। आंखों में आंसू नहीं थे, बस खालीपन था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा क्यों होता है। क्या एक लड़की सिर्फ तब तक ही प्यारी लगती है, जब तक