सपनों की शुरुआत(जहाँ आसमान अभी दूर था, लेकिन आंखों में उसका अक्स था...)कानपुर के बाहरी इलाके में बसा एक छोटा-सा गांव, जिसका नाम तो था, लेकिन नक्शों में अक्सर छूट जाया करता था जैसे उसकी गलियों की तरह वहां की लड़कियां भी अकसर अनदेखी रह जाती थीं। उसी गांव की एक मिट्टी की गंध से भरी हवाओं में पली-बढ़ी थी जानवी।जानवी बचपन से ही कुछ अलग थी। जहां लड़कियां गुड़ियों से खेलतीं, वो किताबों में खोई रहती। जब खेतों में शादी-ब्याह के गीत गूंजते, तो वो अपने घर के एक कोने में बैठी 'आर्थिक नीतियों' पर पढ़ती मिलती।पढ़ाई उसके लिए