बाजार - 15

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बाजार ----15 वा धारावाहिक....                                   पता ही नहीं चला कब मौसम खराब हो गया था। कहने को कुछ भी हो, बम्बे का मौसमआदमीजैसा ही हैं... मिनट मे क्रोध.. मिनट मे नरमी। जैसे बम्बे का गुस्सा एक बाप का हो....वक़्त घड़ी का कब से रुका हुआ था। छोटी सुई बारा पर बड़ी पांच पर, सेकंड की सुई दस पर। आज आटोमेटीक सैल रानी ने घड़ी मे डाल दिए थे। उसने कहा मुंशी से ---" बाबा जिस घर की घड़ी ख़डी हो, कैसे चल सकती हैं जिंदगीया " रानी घड़ी ख़डी को बहुत ही बुरा मानती थी।मुंशी ज़ी ने कहा ----" बेटी जिसको स्त्री