इंतेक़ाम

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आसमान में काले बादल छाए हुए थे ऐसा लग रहा था जैसे आज  इंदर देव रूष्ट हो और अपना सारा कोप निकालना चाहते हो,बरसात आने की आशंका में सभी लोग अपना काम जल्दी-जल्दी समेट कर अपने घर पहुंचना चाहते थे,दिन के 5:00 बज रहे थे लेकिन चारों तरफ अंधेरा छा गया है सभी लोग अपनी दुकानें बंद कर अपने अपने घरों की तरप भागने लगे,सबको अपने घर पहुंचने की जल्दी थी लेकिन सड़क के बीचो बीच चल रही निशा पर इन सब का जैसे कोई असर नहीं था,वह अपने ख्यालों में खोई सड़क के बीचो बीच चल रही थी उसके