आसमान में काले बादल छाए हुए थे ऐसा लग रहा था जैसे आज इंदर देव रूष्ट हो और अपना सारा कोप निकालना चाहते हो,बरसात आने की आशंका में सभी लोग अपना काम जल्दी-जल्दी समेट कर अपने घर पहुंचना चाहते थे,
दिन के 5:00 बज रहे थे लेकिन चारों तरफ अंधेरा छा गया है सभी लोग अपनी दुकानें बंद कर अपने अपने घरों की तरप भागने लगे,
सबको अपने घर पहुंचने की जल्दी थी लेकिन सड़क के बीचो बीच चल रही निशा पर इन सब का जैसे कोई असर नहीं था,
वह अपने ख्यालों में खोई सड़क के बीचो बीच चल रही थी उसके अंदर बवंडर मचा हुआ था उसकी जिंदगी में आए तूफान की वजह से जैसे उसका सारा दर्द आंखों की मदद से बाहर बरस जाना चाहता हो,
वह चलते चलते एक गार्डन में आ गई और वहां की एक बेंच पर बैठ गई बरसात शुरू हो चुकी थी ऐसा लग रहा था जैसे आज इंदर देव अपना सारा गुस्सा निकाल रहे हो मूसलाधार बारिश हो रही थी लेकिन जैसे निशा पर इन सब का कोई फर्क नहीं था, वह बेंच पर बैठी अपने ख्यालों में खोई हुई थी उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे,
लगातार 2 घंटे तक मूसलाधार बारिश होने के बाद इंद्रदेव का गुस्सा शांत हो चुका था, बारिश बंद हो चुकी थी और रात का अंधेरा भी गहराने लगा था लेकिन निशा इन सबसे बेखबर वहां बैठी रही,
तभी एक और कांस्टेबल वहां आया और उस देख कर बोला ऐ लड़की,,,,
लेकिन निशा ने तो जैसे उसकी आवाज नहीं सुनी हो ,
तब कॉन्स्टेबल ने अपने हाथ में लिया डंडा जोर से बेंच के एक कोने दे मारा,
जिसकी आवाज से निशा अपने ख्यालों से बाहर आई,
तब कॉन्स्टेबल बोला ए लड़की तुम इस समय यहा क्या कर रही हो रात होने वाली है और इस समय यहां पर तुम्हारा अकेले रहना ठीक है तुम अपने घर जाओ,,,,,
यह सुनकर निशा ने कोई जवाब नहीं दिया मात्र हा करने के अंदाज से अपना सिर हिला दिया और वहां से उठकर घर आ गई,
जैसे ही उसने हाल में प्रवेश किया कि उसकी सास कमला देवी की आवाज उसके कानों में पड़ी कहा थी महारानी इतनी देर से सब्जी लेने गई थी या आसमान से तारे जो अब आ रही हो और कहां है सब्जी लगता है महारानी सब्जी का बहाना बनाकर कहीं घूमने गई हो, उसकी सास ने गुस्से में कहा लेकिन निशा ने कोई जवाब नहीं दिया,
तब कमलादेवी बोली अब भूत बनी खड़ी ही रहोगी या जाकर अपने कपड़े बदल कर रात के खाने की तैयारी करोगी, लेकिन निशा ने कोई जवाब नहीं दिया और अपने कमरे में आ गई,
कमला देवी बढ़ बढ़ाते हुए हॉल में आकर सोफे पर बैठ गई निशा ने कमरे में पहुंचकर अपने गीले कपड़े बदले और तैयार होकर नीचे आ गई,
उसे देख कर उसकी सास का बड़बड़ाना फिर चालू हो गया, तभी 8 साल का दीपू और 5 साल की गुनगुन मम्मा मम्मा करते हुए निशा के आकर लिपट गए, उन्हें देखकर निशा ने उनके सिर पर हाथ फेरा,
तब गुनगुन तोतली आवाज में बोली मम्मा आप आ गई तब दीपू बोला हां मम्मा आप कहा थी गुनगुन आप को बहुत याद कर रही थी हमें भूख भी लगी हुई है लेकिन दादी ने हमें कुछ खाने को नहीं दिया दीपू मासूमियत से बोला,,,,,
यह सुनकर निशा ने दोनों को गले लगा लिया और फिर किचन में जाकर वहां से कुछ नमकीन और बिस्कुट उन दोनों के पास लाकर उनकी प्लेट दीपू को देते हुए बोली बेटा जाओ अपने कमरे में और जाकर दोनों कुछ खा लो तब तक मैं तुम सबके लिए खाना बनाती हूं,,,,,
यह सुनकर दीपू मासूमियत से बोला जी मम्मा और बिस्कुट नमकीन की प्लेट हाथ में लेकर और गुनगुन का हाथ पकड़ कर उसे अपने कमरे में ले गया,
निशा रसोई में आकर रात के खाने की तैयारी में लग गई खाना बनाने के बाद उसने सब लोगो को खाना खिलाया और फिर दीपू और गुनगुन के लिए खाना उनके कमरे में ले गई ,
दोनों को खाना खिलाने के बाद निशा ने प्यार से उन्हें सुला दिया कुछ देर बाद दोनों नींद में सो चुके थे,
तब निशा उनके बगल में लेट गई उसे भूख नहीं लगी थी भूख लगती भी कैसे जब उसकी जिंदगी में इतना कुछ हो रहा हो, यही सब सोचते हुए वह अपने अतीत में खो गई उसकी आंखों में आंसू बहने लग,
मेरी रचना को अपना कीमती वक्त और प्यार देने के लिए दिल से धन्यवाद 🙏🙏
आपसे निवेदन है कि आपको यह रचना कैसी लगी समीक्षा जरूर दें और अगर कुछ कमी लगे तो अपने कीमती सुझाव देना ना भूलें जिससे मैं आगे इसमें सुधार कर सकूं 🙏🙏