उजाले की ओर –संस्मरण

स्नेहिल नमस्कार प्रिय मित्रों ---------------------------------- ज़िंदगी की इस कगार तक पहुंचकर कई बार बीते हुए लम्हों पर कभी आश्चर्य होता है, कभी सुख तो कभी दुख भी नासूर सा पक जाता है जो पीड़ा से मन को भर देता है। हम सभी परिचित हैं कि हम सबके जीवन का लक्ष्य एक ही है। हाँ, रास्ते अलग अलग हो सकते हैं। स्वाभाविक भी है। किसी का शॉर्ट कट है तो कोई लंबे रास्ते पर चलने में अधिक सहज रहता है, आनंदित रहता है लेकिन हम सब अपने लक्ष्य पर पहुंच जाते हैं क्योंकि हमें पहुँचना है। हमारे भीतर की संवेदनाएं ही