[ ध्यान ]कल्पना में है सत्य का सामर्थ्यकल्पना केवल कल्पना नही हो सकती। कल्पना में वास्तविकता व संभावना छुपी हुई होती है। कल्पना भी प्रार्थना की तरह संभाव्य शक्ति है, कल्पना शक्तिशाली है। कल्पना के सामर्थ्य से अस्तित्व को नष्ट भी कर सकते हैं एवं निर्माण भी किया जा सकता है। हम जो भी कार्य करते हैं, वह कल्पना से निर्मित हो रहा है। कल्पना एक ऊर्जा है जिससे हमारा मन भी चलता है, जिसका शरीर भी अनुकरण करता है। धारणा में हम जो गहराई में उतरते हैं, वही वास्तविकता बन जाती है।कई बार केवल कल्पना मात्र से अनेक रोग