प्राक्कथनश्री साई अनंत हैं । वे एक चींटी से लेकर ब्रह्माण्डपर्यन्त सर्वभूतों में व्याप्त है। वेद और आत्मविज्ञान में पूर्ण पारंगत होने के कारण वे सद्गुरु कहलाने के सर्वथा योग्य हैं। चाहे कोई कितना ही विद्वान् क्यों न हो, परन्तु यदि वह अपने शिष्य की जागृति कर उसे आत्मस्वरूप का दर्शन न करा सके तो उसे सद्गुरु के नाम से कदापि सम्बोधित नहीं किया जा सकता। साधारणतः पिता केवल इस नश्वर शरीर का ही जन्मदाता है, परन्तु सद्गुरु तो जन्म और मृत्यु दोनों से ही मुक्ति करा देने वाले हैं। अतः वे अन्य लोगों से अधिक दयावन्त हैं।श्री साईबाबा हमेशा