श्रीयज्ञ अवतार की कथा श्रीस्वायम्भुव मनु की पुत्री आकृति, जो रुचि प्रजापति से ब्याही गयी थीं। उन रुचि प्रजापति ने आकूति के गर्भ से एक पुरुष और स्त्री का जोड़ा उत्पन्न किया। उनमें जो पुरुष था, वह साक्षात् यज्ञ-स्वरूपधारी भगवान् विष्णु थे और जो स्त्री थी, वह भगवान् से कभी भी अलग न रहने वाली लक्ष्मी जी की अंशरूपा ‘दक्षिणा’ थी। मनु जी अपनी पुत्री आकूति के उस परम् तेजस्वी पुत्र को बड़ी प्रसन्नता से अपने घर ले आये और दक्षिणा को रुचि प्रजापति ने अपने पास रखा। जब दक्षिणा विवाह के योग्य हुई तो उसने यज्ञभगवान् को ही पतिरूप में