श्रीहरि-अवतार की कथा—त्रिकूटाचल पर्वत पर जब ग्राह ने गज को पकड़ा था तब उसकी आर्तवाणी को सुनकर भगवान् श्रीहरि प्रगट हुए। इन्होंने ही ग्राह को मारकर गजेन्द्र की रक्षा की तथा लोगों के बड़े-बड़े संकट हरण करके 'श्रीहरि’ यह नाम चरितार्थ किया। कथा इस प्रकार से है— क्षीरसागर में त्रिकूट नाम का एक प्रसिद्ध, सुन्दर एवं श्रेष्ठ पर्वत था। वह दस हजार योजन ऊँचा था। उसकी लम्बाई-चौड़ाई भी चारों ओर इतनी ही थी। उस पर्वतराज त्रिकूट की तराईमें भगवान् वरुण का ऋतुराज नाम का उद्यान था, जिसके चारों ओर वृक्षों के झुण्ड शोभा दे रहे थे। वहीं एक विशाल सरोवर