मेरा पहला कदम - भाग 1

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ये कहानी हे मेरे सभी पहले कदम चलने के पहले कदम की नहीं जिंदगी के पहले कदम की हो या फिर कहानी लिखने के। ज़रा रुकिए तो सही जनाब कहानी इतनी उबाऊ नहीं है।लोग कहते हे कि बचपन किसे याद होता है, सब लोग भूल जाते हे। लेकिन मुझे मेरे बचपन की बहुत सी झलके धुंधली धुंधली नज़र आती है। बचपन में वैसे तो में बहुत शरारती थे पर धीरे धीरे समाज क्या कहेगा, क्या सोचेगा और लोगों की आपस की बातें सुनकर मुझे दिमाग से परिपक्व बना दिया।मेरी छवि इस प्रकार रही है ना कि लोग मुझे शुरुआत में