"""मेरे कपड़े कहाँ गए? कहीं मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं हुआ?"" होश में आते ही मंजरी ने खुद को निर्वस्त्र पाया और जोर से चीख पड़ी। अंधेरी रात के सुनसान खंडहर में उसकी चीखें बेअसर थीं। उसने अपने गुप्तांगों को छूकर यह सुनिश्चित किया कि कुछ गलत नहीं हुआ था। वह थोड़ा आश्वस्त हुई। तभी उसकी नज़र एक नंग धड़ंग अघोरी पर पड़ी। वो डर गयी। लेकिन उस अघोरी पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा। उसकी की ऊंचाई लगभग साढ़े पाँच फुट ! कसा हुआ बदन ! गोल गोल आंखें ! बिल्कुल लाल ! एक बार अगर अंधेरे में