कीमत

 प्रशांत ने सुबह का अखबार खोला ही था कि उसकी निगाह एक खबर पर पड़ी। साहित्य के अति विशिष्ट सरकारी संस्थान ने साहित्यिक पुरस्कारों की घोषणा की। वह पुरस्कृत नामों पर सरसरी निगाह गड़ाता चला गया, एक नाम पर उसकी निगाह टिक गयी। मनप्रीत भट्टाचार्य का नाम देखकर वह चौंक गया। मनप्रीत उसे अपनी चलताऊ कहानियां और एकांकी भेजा करती थी। वह आवश्यक सुझाव देकर संशोधन करने की सलाह दे दिया करता। तीन-चार ड्राफ्ट के बाद ही वह रचनाएँ पत्रिकाओं में भेजने के लिए हरी झंडी देता था। प्रशांत को समझ आ चुका था कि मनप्रीत साहित्य में बिना बैशाखियों