द्वारावती - 83

83                                   “भोजन तैयार है, आ जाओ तुम दोनों।” गुल ने पुकारा। उत्सव उठा। केशव ने रोका।“बैठो। आज भोजन यहीं करेंगे। भोजन यहाँ लेकर आओ। आज हम समुद्र की साक्षी में, मद्धम चाँदनी में, तट की रेत पर, शीतल समीर के साथ भोजन करते हैं।”“ठीक है। जैसी तुम्हारी मनसा। किंतु किसी एक को मेरी सहायता करनी होगी।” केशव सहायता हेतु आगे बढा। उत्सव ने रोका, “केशव, तुम यात्रा से आए हो, विश्राम करो। मैं जाता हूँ।” केशव रुक गया।शीघ्र ही समुद्र तट पर, ऊष्मा से तप्त रेत