Mahila Purusho me takraav kyo ? - 92 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 92

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 92

बदली को अभय ने शकिया लड़की कहकर चिड़ाया..बदली का हृदय आहत हुआ.. बदली पुलिस की अफसर है पर वह भी एक स्त्री ही तो है । अभी भी रात बाकि थी ..अंधेरा था .. अभय की दुत्कार से बदली के चेहरे पर क्या भाव आये, अभय नही जान पाया । बदली ने विषय बदलते हुए कहा ..जीजू ! आप फोन करके पूछ लीजिए ! क्या स्थिति है ? अभय ने कहा ..नही फोन नही करूंगा ..पता नही वे किस परिस्थिति मे होंगे ..मैने फोन किया तो घंटी बजेगी और उनका लोकेशन दुश्मन को पता लग जायेगा .. वे खुद ही मुझसे संपर्क करेंगे ..शायद सुबह होने पर ही संपर्क करेंगे ।
बदली ने कहा तो हमे अब क्या यहीं पर आड मे ही रहना होगा । अभय ने कहा आपके पास पिस्टल है .. आप खंडहर की तरफ बढ़ो , वहां बड़ा पत्थर है उसकी आड मे बैठो ..मैं आपके पीछे पीछे आता हूँ ।
बदली ने मना कर दिया ..नही मैं आपको छोड़कर नहीं जाऊंगी ..अभय खुद उठकर बिना आवाज किये उधर बढने लगा ... बदली धीरे से बोली जीजू आप यह क्या कर रहे हैं .. ? बदली भी उसके पीछे पीछे चलदी... अभय खंडहर के पास पहुंच गया था । अभय ने खंडहर को गोर से देखा ..वहां उसे सीढियां नजर आई ..रास्ते मे पड़ा एक डंडा .. उस पर अभय का पांव पड़ा ..अभय ने हाथ से टटोला ..लगभग चार फिट का डंडा ..अभय ने उसे तुरंत उठा लिया .. अभय सीढियो की तरफ बढा ..सीढियो को डंडे से टटोला ..उसे यकीन होगया ..ये सीढी ही है । अभय ने बदली को धीरे से कहा ..आप मेरे पीछे पीछे आजाओ ..बदली ने अभय के साये का पीछा कर तेज कदमो से आगे आयी और अभय को पीछे से पकड़ लिया .. अभय सीढियां चढने लगा .. सीढियां खत्म होगयी ..डंडे से आगे टटोला , आगे छत नही थी ..अभय ने कहा बदली ! हमे उजाला होने का यहीं इंतजार करना होगा ... बदली ने कहा ठीक है जीजू ..। बदली ने आगे कहा जीजू क्या मै पास की चौकी से मदद के लिए काल करूं । अभय ने कहा फोन का उजाला होगा ..हम कहां है दुश्मन को पता लग जायेगा । आप फोन सुबह ही करना ..अभय ऊपर की सीढी पर है और बदली अभय के पांवो के पास बैठी हुई है । हल्की हल्की मंद पवन चल रही है ..बदली के यौवन की गंध अभय तक पहुंच रही है .. अभय की आंखो मे बदली का रेस्टोरेंट मे देखा हुआ रूप घूम जाता है .. बदली ने अपना हाथ अभय के घुटनों पर रख दिया था ..हाथों की गर्माहट कामोद्दीपन का कार्य कर रही थी ..अभय ने बदली को टोकते हुए कहा ..तुम ठीक से बैठो ..बदली ने अपना हाथ हटा लिया ..बदली का ध्यान हाथ पे नही था पर अब उसे ध्यान होगया .. बदली अपने आप मे मुस्कुराकर..ओह तो यह बात है ..मेरे हाथ रखने से जीजू का मन विचलित हो रहा था .. बदली ने अब अपनी पीठ अभय की ओर करदी थी ..कुछ देर बाद बदली ने अपनी पीठ अभय के घुटनो तक के हिस्से मे सटा दी ... बदली ने अपने कंधो व कोहनी के बीच के भाग को अभय की जंघाओ पर रखा ओर हटा लिया .. बदली को ऐसा करते देख अभय ने कहा ..क्या बात है मेडम ! आज उन्मत्त हो रही हो ? यहां तुम्हारी दाल नही गलने वाली ..