sauteli maa se maa banne ka safar... - 2 in Hindi Women Focused by Tripti Singh books and stories PDF | सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 2

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 2

आज बुआ जी त्रिवेणी के घर रिश्ता लेकर जाने वाली थी जिसके कारण वो सुबह से ही उसकी तैयारी में लगी हुई थी (मुझे रिश्ता ले जाने या आने के बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं इसीलिए कोई भी गलती हो तो मुझे क्षमा करें। )

त्रिवेणी के मामा मामी बहुत खुश थे कि उनकी बेटी का विवाह इतने बड़े घर में होने जा रहा है उनकी बेटी अब हमेशा सुखी से रहेगी हालांकि वो ये बात जान कर थोड़े चिंतित भी थे कि शिवराज जी का ये दूसरा विवाह है और एक बेटा भी है लेकिन वो लोग ये सोच कर खुश हो गए कि परिवार अच्छा है।

बुआ जी के आने से पहले ही मामा जी ने त्रिवेणी को अच्छे से समझा दिया कि उसे कैसे बात करनी है क्या करना है सब कुछ उन्होंने उसे बता दिया। अब बस वो लोग बुआ जी के आने की राह देख रहे थे।

काफी देर इंतजार के बाद आखिरकार बुआ जी त्रिवेणी के घर आ ही गई उन लोगों ने बुआ जी की बहुत आव भगत की बुआ जी ने भी कुछ सवाल त्रिवेणी से किए और उसके जबाव से वो संतुष्ट भी हुई।

बुआ जी भी सब कुछ पक्का करके ही त्रिवेणी के घर से रवाना हुई आज से एक महीने बाद ही विवाह का मुहूर्त था तो सभी विवाह की तैयारियों में जुट गए।

इधर शिवराज जी अब भी थोड़े परेशान थे हालांकि बुआ जी ने उन्हें आश्वस्त किया था त्रिवेणी के बारे में बता कर इसलिये अब उनके मन की चिंता कुछ कम जरुर हुई थी लेकिन फिर भी थोड़ी तो थी ही जो शायद इतनी जल्दी नहीं जाने वाली थी।

देखते ही देखते समय अपनी रफ्तार से बढ़ रहा था और विवाह का समय नजदीक आ गया।

आज शिवराज जी के विवाह का दिन था और वो अत्यन्त दुखी थे वो अपनी पत्नी को याद कर रहे थे अखिर 15 सालो का साथ था उन दोनों का हर सुख दुख उन्होंने साथ मिलकर बांटा था।
दुखी के साथ वो थोड़े परेशान भी थे इसीलिए लिए बुआ जी उन्हें समझा रहीं थीं बुआ जी के काफी देर उन्हें समझाने पर उन्हें थोड़ी राहत तो मिली लेकिन कहीं न कहीं उनके मन में थोड़ी ही सही लेकिन चिंता तो थी।
शायद इस चिंता का एक ही हल था वो ये कि शिवराज जी स्वयं ही त्रिवेणी को परख ले।


आज शिवराज जी के विवाह का दिन था और बुआ जी सबको फटकारते हुए विवाह की तैयारी में लगी हुई थी।

कुछ देर बाद

अब बारात निकलने का वक्त हो रहा था और उसी वक्त अखंड का रोना शुरू हो गया जिसे शिवराज जी अपनी गोद में लिए चुप करवाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन अखंड आज चुप होने का नाम ही नहीं ले रहा था बहुत कोशिशें के बाद भी जब वह चुप ना हुआ तो शिवराज जी ने बुआ जी को बुलाया और कहा "देखिए ना बुआ जी अखंड कब से रोए जा रहा है मैंने बहुत कोशिश की लेकिन यह चुप ही नहीं हो रहा" इतना कहकर शिवराज जी परेशानी और चिंतित भाव से अखंड को देखने लगे बुआ जी ने सोचा शायद अखंड भूख की वजह से रो रहा हो तो उन्होंने उसके लिए जल्दी से दूध मंगवाया लेकिन अखंड ने दूध भी नहीं पिया और लगातार रोए जा रहा था।

इस भाग मे मुझसे जो भी भूल हुई हो उसके लिए मैं माफी चाहूँगी। 🙏

अगर कहानी पसंद आई हो तो कृपया मुझे रेटिंग अवश्य दे। 🙏