Bandhan Pyar ka - 2 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बंधन प्यार का - 2

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बंधन प्यार का - 2

ओ के
हिना चली गयी थी।।
और नरेश सन्डे का बेसब्री से इंतजार करने लगा।हिना की मोहक छवि उसके दिल मे ऐसी अंकित हो चुकी थी कि रात हो या दिन वह मोहक छवि उसकी आँखों के सामने घूमती रहती।
उसने हिना का नम्बर तो ले लिया था लेकिन अभी इतनी आत्मीयता या इतनी नजदीकी नही हुई थी कि उसे फोन कर सके।कही वह बुरा न मान जाए या अन्यथा न ले ले।फोन करने की चाहे हिम्मत न जुटा पाता पर रात को बिस्तर में वह उसे याद करता और उसे याद करते करते ही सो जाता।
और शनिवार को वह बिस्तर में लेटा हुआ सोने का उपक्रम कर रहा था तभी फोन की घण्टी बजी
"हाय"फोन को कान से लागते ही उसे हिना की आवाज सुनाई पड़ी थी।
"कैसी हो?"नरेश उसकी आवाज सुनकर खुश होते हुए बोला
"फाइन,"हिना बोली,"क्या कर रहे थे?"
बिस्तर में लेटा हुआ तुम्हे ही याद कर रहा था।"
"मुझे याद कर रहे थे।इसीलिये तो मैने फोन किया"
"जोक अच्छा कर लेती हो।"
"तुम्हे बुरा लगा?"
"नही।"
"अच्छा कल का क्या प्रोग्राम है?"
"कल मेडम तुषाद म्यूजियम देखने के लिए चलेंगे।क्या तुम्हें याद नही है।"
"मुझे तो याद है।मैने सोचा कही तुमने इरादा न बदल दिया हो या भूल गए हो।"
"न मैं भुला हूँ और न ही इरादा बदला है,"नरेश बोला,"ऐसी खूबसूरत बाला के साथ कौन कम्बखत नही जाना चाहेगा।"
"न जाने में कहा से सुंदर कग रही हूँ,तुम्हे?"
"मेरी आँखों से।"
"थेंक्स,"हिना बोली,"प्रोग्राम क्या है यह बताओ?"
"कल किंग्स्टन मेट्रो स्टेशन पर आ जाओ फिर चलेंगे।"
"ओके।गुड़ नाइट।अब सो जाओ।"
"अब नींद कहा आएगी।"
"क्यो?"
"अब तो पूरी रात तुम्हारे ही सपने आते रहेंगे।"
"एक काम करो।"
"क्या?"
"मै सो जाती हूँ।तुम सपने देखते रहो।"
"बड़ी निष्ठुर हो।"
"क्यो?"
"यो तो नही कहा,सपने मत देखो मैं ही आ जाती हूँ।"
"हश
और हिना ने फोन काट दिया था
सन्डे को नरेश तैयार होकर किंग्स्टन पहुंच गया।वह हिना का ििनतजार करने लगा।लोग आ जा रहे थे।सन्डे को सब ही मस्ती के मूड में रहते है।घूमना और मौज मस्ती करते है।
पश्चिम का जीवन दर्शन ही यही है।खाओ,पीओ और मौज करो।जबकि भारत मे ऐसा नही है।
और वह एक तरफ खड़ा होकर हिना का ििनतजर कर रहा था।
"मैं आ गयी।"नरेश सामने की तड़फ तक टकी लगाए था जबकि हिना दूसरी तरफ से आकर उसके पीछे खड़ी हो गयी थी।
नरेश ने मुड़कर देखा तो उसे देखता ही रह गया
"ऐसे क्या देख रहे हो?"
"लाल कपड़ो में तुम कितनी सुंदर लग रही हो।मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो।"
”ऐसी भी नही लग रही हूँ जितनी तुम तारीफ कर रहे हो।"
"मेरी बात झूठ लग रही है,तो किसी से पूछकर बताऊं?"
"कोई जरूरत नही है चलो।"
और वे ट्रेन का वेट करने लगे।
"यह मेट्रो कितनी पुरानी है?"
"यह दुनिया की सबसे पुरानी मेट्रो है।1857 में बनी है।दुनिया मे ट्यूब रेल के नाम से मशहूर है।"
"रख रखाव और इसकी सजा सज्जा बेहतरीन है।"
"स्टेशनों की साफ सफाई भी बेहतर है।"
"पूरे लंदन में इसका जाल फैला है।यहाँ ट्रांसपोर्ट का सबसे बेहतर साधन है।"
वे दोनों खड़े होकर बाते कर रहे थे तभी ट्रेन आ गई।और वे एक कोच में चढ़ गए थे।
और वे बाते करते हुए ही मेरियोब्लोअन पहुंच गए थे
तुषाद म्यूजियम पर अच्छी खासी भीड़ थी।
"तुम रुको।मैं टिकट लेकर आता हूँ।"
कुछ देर बाद नरेश आकर बोला,"गाइड कर लेते हैं।"