Samajik Bhik - 1 in Hindi Moral Stories by AAShu ______ books and stories PDF | सामाजिक भिक - 1

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सामाजिक भिक - 1


......... बहोत देर हों गई केशव बाबू , आप की बेटी को बुलवा दीजिए जरा .......
जी बिलकुल , अभी बुलवाता हु..... सुधा जरा अंदर से मीनाक्षी
बेटी को लेकर आओ..... और हां साथ में चाय नाश्ते का इंतजाम भी देख लेना.....
सुधा- जी में अभी मिनाक्षी को लेकर आई....
केशव जी-.माफ कीजिएगा शर्मा जी , थोड़ी देर हो गई ...
शर्मा जी- कैसी बात करते हे केशव बाबू आप भी..इस वक्त पर तयार होने में देर तो लगती ही है.... वैसे मुझे तो कोई जल्दी नहीं है , ना अभय की मां को हे, वो तो अभय का अभी अभी प्रमोशन हुआ है
सर्कल इंस्पेक्टर (c.i) की पोस्ट पर इसीलिए वो बस अभी छुट्टी नहीं लेना चाहता ... बस इसी वजह से हमे थोड़ी जल्दी हे.
केशव
बाबू- जी बहोत बहोत अभिनंदन आपका अभय .... भविष्य में आप और भी तरक्की करो ऐसी आशा करता हूं...
अभय- जी बिलकुल आपका आशीर्वाद रहा तो जरूर तरक्की होगी
......सुधा, मिनाक्षी तयार हो गई हो तो , जरा बाहर लेकर आना...... जी अभी आई
शर्मा जी एक रिटायर्ड सरकारी अफसर हे और उनकी पत्नी एक शुशील गृहिणी .... आज वो केशव बाबू के यहां अपने बेटे अभय के लिए लड़की देखने आए हे....
अभय भी अपने पिता जी की तरह सरकारी अफसर हे..... अभी अभी उसका CI की पोस्ट पर प्रमोशन हुआ हे.... देखने मे सावले रंग का ,लंबा , मजबूत .... देखने से कोई भीं प्रभावित हो जाए वैसा......
केशव बाबू प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हे और उनकी पत्नी सुधा घर में ही छोटे मोटे काम करती रहती है जिससे कुछ न कुछ बचत हो जाती हे.... उनकी दो बेटियां है, बड़ी मिनाक्षी और छोटी उर्मी ...
मिनाक्षी ने पॉलिटिक्स में बी.ए किया हे और अब MA कर रही है...
उसे बस देखने से ही कोई भी कह देगा की वो कितनी समझदार और सुलझी हुई लड़की हे.... बिल्कुल स्थिर... साथ में बहोत ही सुंदर....
एक शादी के समारोह में अभय की मां ने मिनाक्षी को देखा था, बस तब से ही उन्होंने मन में उसे अपने घर की बहु बनाने की ठान ली,
और आज तो जैसे उनकी मन की मुराद पूरी होने वाली है ..........
शर्मा जी - आओ आओ बेटी बैठो...
मिसेज शर्मा- शर्माने की कोई बात नही बेटी,हम भी तो तुम्हारे मां बाप जैसे ही हे.... अगर तुम्हे कुछ कहना हो तो तुम कह सकती हो
.... वैसे इस रिश्ते से तुम्हे कोई ऐतराज तो नही हे ना.....
मिनाक्षी- .... जी , मां और बाऊजी जो ठीक समझे वही सही ..…...
अभय- लगता हे आप पुराने विचारों में विश्वास रखती हो...
मीनाक्षी- जी बिलकुल भी नहीं.... पर जीवन का इतना बड़ा निर्णय हो और मां बाप की खुशी न हो तो वो किस काम का...... बस इसीलिए .....
अभय- जी सही कहा आपने, बहोत ही नेक विचार हे आपके....वैसे आप क्या पढ़ रही है अभी...
मीनाक्षी- जी पॉलिटिक्स विषय में MA कर रही हु......
अभय- और आगे क्या करने का विचार हे.....
मिनाक्षी- जी मुझे पढ़ने के साथ साथ पढ़ाना बहोत अच्छा लगता है इसीलिए सोच रही हूं पढ़ाई खत्म होने पर किसी अच्छे कॉलेज में लेक्चरर की जॉब करू.....
शर्मा जी- अरे वाह ! ये तो बहोत ही बढ़िया हे.....
... चलिए केशव बाबू , अब हमेे चलना होगा बहोत देर हो गई अब, हम कल आपको फोन करके हमारा निर्णय बताते है,तब तक आप भी सोच लीजिए......
...... जी बिलकुल शर्मा जी ! आपकी यात्रा मंगलमय हो !
.... तुम क्या सोचती हो सुधा इस विषय में ।
सुधा- जी मुझे तो समझ में नहीं आ रहा इतने बड़े लोग हमारे यहां संबंध क्यों जोड़ना चाहेंगे ...
केशव बाबू- तुम भी ना सुधा कुछ भी सोचती हो , चाहेंगे क्यों नही भला ... हमारी बिटिया हे ही इतनी प्यारी और समझदार......
सुधा- जी सही कहते हे आप .... में भी पता नही क्या सोचती रहती हु
और अभय की मां भी तो के रही थी कि उन्होंने मीनू को किसी शादी में देखा था ... और मुझे तो अभय बहोत ही अच्छा लड़का लग रहा था... स्वभाव से भी सरल....
केशव- हा सही कहती हो सुधा, हमारी मीनू उस घर में बहोत खुश रहेगी.... शर्मा जी और उनकी पत्नी उसे कोई कमी होने देंगे कभी...
बहूत खुश रहेगी ....
..... जी आप तो बच्चो की तरह रोने लगे, बेटियां कहा हमेशा के लिए रुकती है जी, वो तो बस सबको अपना बनाकर खुद पराई हो जाती है
चलिए अब खाना खा लीजिए.... कल उनका फोन आने वाला है, पता नही क्या जवाब आयेगा......!

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