slow poison in Hindi Human Science by Dr Jaya Shankar Shukla books and stories PDF | धीमा जहर

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धीमा जहर

आपको पता है अभी कुछ साल पहले 2019 में अक्षय कुमार अभिनीत एक फ़िल्म रिलीज हुई थी, नाम था मिशन मंगल, फ़िल्म ने चारों और वाहवाही बटोरी थी चूंकि फ़िल्म रियल टाइम स्टोरी पर आधारित थी तो सभी को पसंद आई थी। सारे दृश्य पर्दे पर हूबहू उतारे गए थे और फ़िल्म देखते हुए लगता था कि आप भी मंगल मिशन की टीम का हिस्सा बन गए हो।

मुझे भी फ़िल्म बहुत पसंद आई, पर आपको याद होगा फ़िल्म में एक दृश्य दिखाया गया था जिसमें एक महिला साइंटिस्ट जिसका नाम नेहा सिद्दीकी है, वह एक दीनी महिला है और उसे रहने के लिए घर ढूंढने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी थी।

जहाँ भी वह किराये पर घर देखने जाती वही उसका धर्म पता चलते ही मना कर दिया जाता। बड़ा ही इमोशनल हो गया था मैं, की इतनी खूबसूरत और टेलेंटेड वैज्ञानिक को लोगों ने घर देने से मना कर दिया, मैं शॉक्ड था। अगर आपने मूवी देखी है तो आप भी शॉक्ड हो गए होंगे और गुस्सा भी आया होगा, आना भी चाहिए । बताइये एक वैज्ञानिक जो दिन रात देश के लिए खून पसीना एक कर रहे हैं उनके लिए हमारे देश में इतना भेदभाव होता है, कितनी ओछी मानसकिता है यह, है ना?

बस यही सब दिमाग में चल रहा था...खैर घर आ कर इंटरनेट खोला और ISRO के बारे में खोज करना शुरू किया तो पता चला कि इसरो अपने सभी वैज्ञानिकों और इंजीनीयरों को अपार्टमेंट्स देता है, अब ये पता चला तो दिमाग घूमा कि अगर इसरो अपार्टमेंट दे रहा है तो किराये पर घर कोई क्यों लेगा?

तब मैंने नेहा सिद्दीकी को गूगल पर ढूंढा तो कहीं दिखी ही नहीं, इसके बाद मंगल मिशन की पूरी टीम चेक करने लगा कि देखें तो सही कि अपने रियल हीरो वास्तव में दिखते कैसे हैं।
मैंने पूरी टीम के एक एक मेंबर के नाम खंगाल लिए पर मुझे नेहा सिद्दीकी नाम की कोई वैज्ञानिक, या इंजीनियर तो छोड़िए कोई टेक्नीशियन भी नहीं मिली।

शॉक्ड लगा न? मुझे भी यह देखने के बाद 440 वोल्ट का झटका लगा था कि पूरी टीम में एक भी मुस्लिम महिला या पुरुष नहीं था पर बावजूद इसके फ़िल्म के मेकर्स ने अभिव्यक्ति की आजादी या मौलिक स्वतंत्रता के नाम पर यह कहानी प्लॉट की, जिसमें दिखाया गया कि भारत में कैसे एक मुस्लिम महिला को कोई अपना घर किराये पर नहीं देता, चाहे वह महिला इसरो की कोई वैज्ञानिक ही क्यों न हो।
और फ़िल्म के पोस्टर पर वही महिला को दिखा कर लिखा गया कि "Science Has No Religion"

जी हाँ धीमा जहर कैसे घोला जाता है ये बॉलीवुड वाले अच्छे से जानते हैं, मैंने तो यह crosscheck कर लिया पर कितने लोग ऐसा करते होंगे?

ऐसे ढेरों सीन थे पर इसके अलावा एक सीन और था अगर आपको याद हो....

याद किजिए विद्या बालन का बेटा कहता है मैं नमाज पढूंगा। । उसका बाप संजय कपूर लड़ता है उससे
लेकिन बेटा कहता है कि नही मुझे नमाज पढ़नी ही है , और उसकी मम्मी सहयोग करती है।।। याद कीजिए, बस यही प्रोपेगैंडा है जो ये फैलाते हैं। और उससे भी बड़ी बात कि रियल स्टोरी में आधे से ज्यादा झूठ मिला होने के बाद भी सेंसर बोर्ड इनकी फिल्मों को पास कर देता है, इसे अतिश्योक्ति ही कहा जायेगा।

और आपको पता है इस फ़िल्म के निर्माता कौन थे?
अपने श्री श्री अक्षय कुमार जी, जी हां वही कालनेमि अक्षय कुमार जो देश प्रेम की अलख जगाये घूमते दिखाई देते हैं और अंदरखाने धीमा जहर फैलाते रहते हैं और सामने भी नहीं आते।
आख थू 🫢