Humrahi - 3 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | हमराही - 3

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हमराही - 3

"भगवान राम हिंदुओ के आराध्य हैं।आदर्श पुरुष और सीता जैसी स्त्री दूसरी पैदा नही हो सकती।
"मैने भी पढ़ा तो है"
"पूर्वज तो राम आपके भी है।"
"बात सही है।धर्म बदला है पूर्वज तो नही बदल सकते।"नाजिया बोली,"जब मैं यहां तक आयी हूँ ,तो रामायण काल के स्थानों का दर्शन करना चाहूंगी।"
रामेश्वरम मंदिर में दर्शन का एक नियम है।"
"क्या?"
"पहले समुद्र किनारे जाकर नहाकर आने के बाद ही दर्शन कर सकते है।"
और आयशा रमन के साथ पहले समुद्र में नहाकर आयी।फिर मंदिर में दर्शन करने के लिए गयी थी।मंदिर में भारी भीड़ थी।फिर रमन उसे धनुष कोटि व विभीषण का मंदिर भी दिखाने के लिए ले गया था।
अगले दिन वे कलाम का घर और संग्रहालय दिखाने के लिए ले गया था।वहा पर भारी भीड़ थी। रामेश्वरम आने वाले डॉ कलाम का घर,म्यूजियम देखने जरूर आते थे।
"इतनी छोटी जगह से उठकर कलाम साहब तुम्हारे देश के सर्वोच्च पद पर पहुंच गए।"
"मिसाइल मैन के नाम से मशहूर है,"रमन बोला,"स्टूडेंट उन्हें बहुत चाहते थे।राष्ट्रपति पद से रिटायर होबे के बाद भी वह निरन्तर सक्रिय रहे और लगातार लेक्चर जाने के लिए जाते थे।"
"यहा पर मुसलमान,हिन्दू और अन्य धर्म के लोगो मे कोई फर्क नजर नही आता।"
"सब मिलकर रहते है।"
"लेकिन हमारे देश का मीडिया और हुक्मरान तो कहते है भारत मे मुसलमानों पर जुल्म होता है।"
"आप अपनी आंखों से देख चुकी है और जहाँ भी जाएगी देख लेना।"
और रामेश्वरम के बाद रमन उसे बेंगलोर ले कर आया था।शानदार हाइवेज और वहाँ की प्रगति के साथ आई टी हब देखकर वह दंग रह गयी थी।विशाल क्षेत्र में फैले मल्टी नेशनल कम्पनी के बड़े बड़े दफ्तर देखकर नाजिया बोली,"मेरे दादाजी ने हमारा भविष्य बिगाड़ दिया
"कैसे?"
"सन 47 में देश के बटवारे के समय पाकिस्तान चले गए।काश वह देश छोड़कर न गए होते,"नाजिया दुखी मन से बोली,"मैं भी आज भारतीय होती ओर मेरी भी दुनिया मे इज्जत होती।"
बैंगलोर उसे बहुत अच्छा लगा था।वहाँ से रमन उसे काशी लेकर आया था।नाजिया काशी में उस गंगा आरती को देखना चाहती थी,जिस जी 20 के प्रतिनिधियों ने देखा था।शाम को आरती के समय नवनिर्मित घाट पर जबरदस्त भीड़ हो जाती है।आरती को देखकर नाजिया मंत्र मुग्ध हो गयी।काशी घूमने के बाद वह रमन के साथ कश्मीर गयी थी।कश्मीर में नाजिया ने वहां के बाग देखे और डल झील पर तैरते शिकार में सेर करते समय वह बहुत खुश थी।वह रमन के साथ सोनमर्ग,गुलबर्गा व अन्य जगह भी घूमने के लिए गयी थी।घूमते हुए बोली,"यहाँ तो पूरी तरह अमन और चैन है।सब आजादी से घूम रहे है।"
"यह अच्छा लग रहा है।हमारे यहां कहा जाता है कश्मीर में बहुत खून खराबा हो रहा है,लेकिन इधर ऐसा कुछ नही है।"
"आखिर कब तक हुक्मरान जनता को बेवकूफ बनाते रहेंगे।"
"आजकल सोशल मीडिया का जमाना है।सच्चाई छुपती नही है।"
और कश्मीर घूमने के बाद रमन,नाजिया को दिल्ली ले आया था।वह उसे एयरपोर्ट छोड़ने के लिये गया था।
"मेरा जाने का बिल्कुल मन नही कर रहा।"
"मन नही कर रहा तो क्यो जा रही हो?"
"जाना तो पड़ेगा।आज तक का ही मेरा वीसा है।"
"तुम अगर चाहो तो रुक सकती हो?"
"कैसे?"
"मेरी बनकर।"
"तुम्हारी बनकर?"
"आयशा मुझे तुम से प्यार हो गया है और मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।"
नाजिया ने यहा आते समय सोचा भी नही था।उसे हमराही मिल जाएगा