Naadan Dil - 1 in Hindi Women Focused by Navjot Kaur books and stories PDF | नादान दिल - भाग 1

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नादान दिल - भाग 1

शादी के दो दिन बाद , सरगम अपने माता पिता से मिलने जा रही है ! बडी़ सी गाडी , जिसमे वो पीछे की सीट पर अकेली बैठी है और ड्राइवर गाडी़ चला रहा है ! अँदर ही अँदर अपने सवालो से झूझती सरगम , अकेली ही अपना सफ़र तय कर रही है ! शादी से पहले अपने मां बाप को खुश देखकर कितनी खुश थी सरगम ..!

उसके पिता तो आदित्य को अपने दामाद के रुप मे पाकर खुद को धन्य महसूस कर रहे थे ! कि पता नही अपनी सरगम के लिए कौन सा हीरा ढूंढ लिया उन्होने..!!

फिर अपनी सरगम थी भी तो बेहद प्यारी और खूबसूरत..!!
सरगम अपने नाम की तरह ही सुदंर ! बात भी करती तो ऐसा लगता था जैसे किसी ने कानो मे रस घोल दिया हो ! सुदंर , हर काम मे निपुण , बादाम जैसी बडी़ बडी़ आँखे , गुलाब की पखुंडियो जैसे मुलायम होंठ ! दूध जैसा गोरा रंग ! गाने का बहुत शौंक था पर उसके पिता ने उसके इस शौंक को दबा दिया ! ये कहकर की अपने ये शौंक शादी के बाद पूरा करना..!

सरगम ने भी अपने अरमानो का गला घोट दिया पर एक शिकन तक नही आई उसके चेहरे पर ! हमेशा हसती मुस्कुराती रहती थी वो..!

खैर वक्त बीता , और सरगम की शादी की उम्र हुई और उसके पिता ने उसके लिए रिश्ते तलाशने शुरू कर दिए!

आदित्य की दादी ने एक मंदिर मे सरगम को भजन गाते हुए सुना था बस तब से ही वो उसे अपने घर की बहू बनाने के सपने देखने लगी ! पूरे गांव मे डंका चलता था उनका ! नही ,नही उनके डर की वजह से नही , बल्कि वो स्वभाव की इतनी अच्छी थी कि पूरा गांव उनका बहुत आदर सत्कार करता था !

आदित्य के मा बाप नही थे ! उसका जो कुछ भी था बस उसकी दादी ( उमा देवी ) थी , जिसने बहुत लाड़ से आदित्य को बडा़ किया था ! पैसो की कोई कमी नही थी उनके पास ! दोनो दादी पोते की जान बसती थी एक दूसरे मे..!

जितनी सरगम चचंल थी ,आदित्य उतने ही गम्भींर स्वभाव का था ! वो पढ़ने के लिए विदेश गया , वहा उसकी मुलाकात ( मोलिना ) से हुई ! जो कि वही की रहने वाली थी ! बेहद खूबसूरत और साफ दिल की लड़की थी मोलिना..! जो दिल मे वही जुबान पर ..! विदेशी होने के बावजूद उसकी रूची इँडिया के रीति रिवाजो मे थी ! और उसकी यही साफ गोई आदित्य के दिल पर चढ़ गई थी ! प्यार का तो पता नही पर वो मोलिना की तरफ अटरैक्ट हो रहा था..!

जबकि मोलिना की तरफ से ऐसा कुछ नही था वो बस उसे अपना दोस्त मानती थी ! और ना ही कभी आदित्य ने अपनी फिलिंग उससे शेयर की..!!

एक दिन उसने अपनी और अपने दोस्तो की फोटो अपने दोस्त को दिखाई जिसमे मोलिना उसके साथ ही खडी़ थी ! फिर क्या था उसके दोस्त ने वही फोटो जाकर उमा देवी को दिखा दी..!

आदित्य किसी गोरी मेम को ना ले आए बस यही डर उमा देवी के दिल मे बैठ गया..! उन्हे समझ ही नही आया की वो क्या करे..?? उसी दिन उनकी नज़रे सरगम पर पडी़ और उन्होने अपनी बीमारी का बहाना करके तुरंत आदित्य को वापस बुला लिया ! और साथ ही साथ अपनी अँतिम इच्छा भी उसके सामने रख दी कि वो उसकी और सरगम की शादी होते देखना चाहती है..!!

आदित्य बिचारा ना , हा कर पाया और ना ,न कर पाया..! आखिर अपनी दादी की इच्छा के सामने उसे झुकना ही पड़ता है क्योकि उसकी दादी ने कैसे उसे यहा तक पहुंचाया ये तो वही जानता था और अपनी दादी को वो खोना नही चाहता था !

बस उसी क्षण उसने अपनी एक तरफा महोब्बत का गला घोट दिया और सरगम से शादी करने के लिए हा कर दी !!

सरगम के पिता तो वैसे ही उसके लिए रिश्ता ढूंढ रहे थे ! तो उमा देवी के पोते का रिश्ता खुद घर चल कर उनके पास आया ,तो और उन्हे क्या चाहिए..! उन्होने झट से हा कह दी..!! सरगम से तो उन्होने पहले ही कुछ पूछना जरूरी नही समझा तो अब क्या पूछते..? और फिर इतने बडे घराने का रिश्ता था , तो ना करने का तो सवाल ही नही उठता ...!!

सरगम ने भी इसे अपनी किस्मत का फैसला मानकर स्वीकार कर लिया..! पर एक खुशी थी उसके मन मे कि अब उसे भी कोई समझने वाला होगा , कोई होगा उसका अपना जिसे वो बेझिझक अपने दिल की बात कह पाएगी..! नखरे करेगी , जिद करेगी , रूठेगी ,मनाएगी अपनी हर इच्छा पूरी करेगी..!!

हालांकि उसका मन था कि वो शादी से पहले आदित्य को देखे , पर किससे कहती ? चलो शादी वाले दिन देख लूंगी ये सोचकर फिर उसने अपना मन समझा लिया...!!

पर जल्दी ही उसके अरमानो पर पानी फिर गया..! शादी वाले दिन वो इतने लम्बे घूंघट मे और आदित्य सेहरे मे.!
चलो शादी भी हो गई ..! सरगम की विदाई भी हो गई..! और वो अपनी हवेली मे भी पहुंच गई , ग्रह प्रवेश की रस्म भी हो गई..! पर इस बीच एक बार भी आदित्य से उसकी बात नही हुई..! और आदित्य ने भी उससे बात करना जरूरी नही समझा..!

खैर...
दो तीन और रस्मो के बाद सरगम को आराम करने के लिए उसके कमरे मे भेज दिया जाता है ! भारी भरकम शादी का जोडा़ , भारी भरकम गहने..! थक कर चूर हो गई थी सरगम..!!

कमरे मे जाकर वो अपना घूंघट ऊपर करके वो पहले तो पूरा कमरा देखती है !
बाप रे...ये कमरा है ? इतना बडा़..? इतना बडा़ तो हमारा पूरा घर होगा..!! वो हैरानी से चारो तरफ देखते हुए बोलती है...!! और फिर आराम करने के लिए बिस्तर पर बैठ जाती है या यूं कहे की आदित्य का इँतजार करने लगती है..!

कितनी उतावली थी वो आदित्य को देखने के लिए , उससे बात करने के लिए..! पता नही वो कैसे दिखते होगे ? एक बैचेनी थी उसकी आँखो मे आदित्य को देखने की..!

शादी की भाग दौड मे उमा देवी बहुत थक गई थी ! आदित्य उनके पास था..!
दादी मा , चलिए अब आराम कीजीए ! बहुत काम कर चुकी है आप ! अब मैं आपकी एक नही सुुनुंगा..! वो उन्हे उनके कमरे मे ले जाते हुए बोलता है !

उमा - ओह ,फो कुछ नही हुआ है मुझे ! तू मेरी चिंता छोड़ , बहू के पास जा वो अकेली है..!

आप पहले लेटिए और अपनी दवाई लीजीए ! वो उनको बिस्तर पर बिठाते हुए बोलता है ! उसके बाद वो अपने हाथ से उसे दवाई खिलाता है फिर उसे आराम से बिस्तर पर लिटा देता है ! उमा एक टक उसका चेहरा देख रही थी , जैसे ही वो वहा से जाने लगता है उमा एकदम से उसका हाथ पकड़ते हुए - तू खुश है ना...???

अगले ही पल आदित्य अपने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए - आप खुश है ना..??

उमा खुशी के चहकते हुए - बहुत..!!

आदित्य उसका हाथ पकड़ते हुए - तो बस मैं भी बहुत खुश हू..!!

उमा - अब तू बहू के पास जा वो कबसे इँतजार कर रही है..!!

जी , इतना कहकर वो बाहर की तरफ बढ़ जाता है !

उधर सरगम कब से उसका इँतजार कर रही थी ! रात काफी हो गई थी ! और थके होने की वज़ह से उसे नींद की झपकिया आने लगी थी..! वो अपनी कमर पीछे बिस्तर से टिका लेती है और अपनी आँखे बंद कर लेती है ! अगले ही पल उसे नींद आ जाती है और उसका घूंघट सरक कर चेहरे पर आ जाता है ! उसका पूरा चेहरा ढका हुआ था , केवल उसके लाल सुर्ख होंठ नज़र आ रहे थे !

आदित्य अपनी ही कश्मकश मे उलझा हुआ था ! कहीं ना कहीं उसके दिमाग मे मोलिना घूम रही थी !

खैर वो अपने कमरे मे जाता है !वो धीरे से दरवाजा खोलता है और अँदर आता है..! नज़रे बिस्तर पर बैठी सरगम पर जाती है जिसका चेहरा ढ़का हुआ था ! वो वापस नज़रे फेर लेता है और बिस्तर से अपना तकिया उठाकर सोफे पर लेट जाता है !

करवटे बदलते बदलते ना जाने उसे कब नींद आ जाती है..!!

तभी ड्राइवर एक दम से गाडी का हार्न बजाता है जिससे सरगम अपने ख्यालो से बाहर आती है ! सैंकडो़ विचार चल रहे थे उसके दिल और दिमाग मे..!! कैसे सामना करेगी अपने मा, पिता जी का !

कुछ ही देर मे उसका घर आ जाता है ! खुद को मजबूत करके वो गाडी मे से उतरती है ! जैसे ही गाडी़ मे से उतरती है तो नज़रे जाती है घर की चौखट पर खडे अपने मा , पापा उनके साथ खडे अपने छोटे भाई बहनो और उनके साथ खडी़ अपनी सहेलियो पर जाती है !

सबके होंठो पर एक ही सवाल ! कैसी है ..? खुश है ना..? दामाद जी कैसे है..?

सहेलियो की अलग पंचायत - जीजू कैसे है..? पहली रात कैसी रही...? क्या गिफ्ट दिया तुझे ..? और भी ना जाने क्या क्या..?

अब सरगम किसी को क्या बताती कि आदित्य उससे बात करना तो दूर , ढंग से वो उसकी तरफ देख भी नही रहा ! दो दिन हो गए शादी को और मुश्किल से दो बार बात हुई होगी उसकी वो भी बस हां हू मे..!

आदित्य का रूखा व्यवहार अँदर ही अँदर तोड़ रहा था उसको , पर कोई नही था उसके पास जो उसकी सुनता !

हसते मुस्कुराते वो सबकी बातो का जवाब़ दे रही थी और बोल रही थी कि वो बहुत खुश है ! उनको बहुत जरूरी काम था , इसलिए साथ नही आ पाए !

चलो ये वक्त भी बीत गया..! सारा दिन सरगम अपने घर पर रही और फिर शाम को हवेली के लिए निकल गई..!

ठंडी हवा चल रही थी जो उसके विचलित मन को शांत कर रही थी ! मन ही मन वो ये सोच रही थी कि उसकी क्या गलती है..? क्यू आदित्य उससे दूर दूर भाग रहा है..?वो अपना सर पीछे सीट से टिकाकर अपनी आँखे बंद कर लेती है..!!

कुछ ही देर मे वो हवेली पहुंच जाती है ! वो अँदर जाती है और सीधा उमा देवी के कमरे की तरफ जाती है ! जैसे ही वो कमरे मे कदम रखने वाली होती है तभी अँदर से आ रही बातो से उसके कदम वही ठिठक जाते है !

उमा - ये मैं क्या सुन रही हू आदित्य..? तू वापस जा रहा है..?
ये सुनते ही सरगम के दिल मे एक हूक सी उठती है !

आदित्य - जी दादी मा , ठीक सुना है आपने , अब पढाई़ बीच मे छोड़कर आया हू !

उमा - पर बेटा अभी तो शादी को बस दो ही दिन हुए है..!
आदित्य - पर दादी मा , मेरा जाना बहुत जरूरी है पर आप चिंता मत कीजीए मैं बहुत जल्दी वापस आ जाऊँगा..!
उमा - कब जाना है..??
आदित्य - बस अभी थोडी़ देर मे निकलना है !
इतना कहकर वो पीछे मुड़ता है तो उसकी नज़रे जाती है पीछे पड़ी सरगम पर...

जो एक टक उसे ही देख रही थी !

आज पहली बार उसने सरगम को ढंग से देखा था !
सरगम की आँखो मे नमी तैर जाती है और वो तुरंत अपनी नज़रे झुका लेती है..!

आदित्य भी अपनी नज़रे फेर लेता है और बिना कुछ बोले उसके पास से गुजर जाता है ! और अपने कमरे मे जाकर अपनी पैकिंग करने लगता हेै ! हालांकि उसका जाना जरूरी नही था , बस वो यहां से दूर जाना चाहता था ! सब कुछ इतनी जल्दी हुआ की वो समझ ही नही पा रहा था !

सरगम अपनी गरदन झुकाए अभी भी उमा के कमरे के बाहर खडी़ थी ! उमा उसे ही देख रही थी ! ना चाहते हुए भी सरगम के आसू लुढ़क कर गालो पर आ जाते है , जो सीधा उमा से सवाल करते है कि मेरी क्या गलती है..??

सरगम वही से अपने कदम पीछे खींच लेती है और भागते हुए अपने कमरे मे जाती है कि शायद जाते वक्त ही आदित्य उससे कुछ बात करे , कोई भी एक ही बात , या वो वापस कब आएगा यही बता दे..! यही सोचती हुई वो अपने कमरे के अँदर जाती है !

तब तक आदित्य अपनी पैकिंग कर चुका था और बस निकलने की तैयारी मे था ..! ठीक उसी वक्त सरगम अँदर आती है..! दोनो की नजऱे मिलती है ! कितना कुछ कहना चाहती थी सरगम उससे , पुछना चाहती थी की क्यू वो ऐसा कर रहा है ? पर किस हक़ से..? एक बैचेनी थी उसकी आँखो मे जो साफ देखी जा सकती थी !


आदित्य अपना बैग उठाता है और उसके पास से गुजर जाता है !

सरगम कस कर अपनी आँखे बंद कर लेती है !
दो कदम चलते ही आदित्य के कदम रूक जाते है , वो आगे बढ़ ही नही पा रहा था......
वो पीछे मुडकर देखता है तो सरगम की साडी का एक हिस्सा ,उसकी घडी़ मे अटक गया है !

सरगम को भी एहसास होता है कि आदित्य के कदम रूक गए है वो झट से पीछे मुडकर देखती है ! एक उम्मीद थी उसकी आँखो मे की शायद आदित्य रूक गया है !

पर अगले ही पल उसकी उम्मीदो पर पानी फिर जाता है जब वो देखती है कि उसकी साडी़ का पल्लू आदित्य की घडी़ मे अटक गया है और आदित्य उसे निकालने की कोशिश कर रहा है ! एक बैचेनी थी उसके चेहरे पर , जैसे बस वो जाना चाहता हो यहा से...!! और सरगम उसकी ये बैचेनी भांप लेती है !

वो जल्दी जल्दी साडी़ को निकालने की कोशिश कर रहा था पर उससे हो नही रहा था !
अगले ही पल सरगम अपने कदम उसकी तरफ बढा़ती है और उसके पास जाकर - लाईए मैं कर दू..??
उफ्फ कितनी मिट्ठी आवा़ज थी सरगम की ....,इतने ध्यान से तो पहली बार आदित्य ने उसकी आवाज़ सुनी थी !

अगले ही पल वो अपने हाथ नीचे कर लेता है पर एक बार भी उसकी तरफ नही देखता.. !

सरगम बडे आराम से अपनी साडी़ का पल्लू उसकी घडी मे से निकाल देती है और आजाद़ कर देती है उसे .....

जारी है...🙏