Mahila Purusho me takraav kyo ? - 75 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 75

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 75

अभय ने दामिनी को दवा लाने के लिए बाहर भेज दिया ताकि उसके सामान की तलाशी ले सके ।
दामिनी के जाते ही अभय ने दरवाजे की कुंदी बंद की ..फिर तुरंत उसके बैग व अटैची की तलाशी शुरू कर दी । तलाशी के दौरान ऐसा कुछ भी नही मिला ..जिससे दामिनी को दोषी ठहराया जा सके । थक हारकर अभय ने दरवाजे की कुंदी वापस खोल दी और बिस्तर पर लेट गया । दामिनी भी थोड़ी देर मे आगयी ..। दामिनी ने अपने सामान की तरफ देखा तो उसे लगा कि अभय ने शायद इन्हे छेड़ा है । वह अभय से बोली ..अभय ! कुछ ढूंढ रहे थे क्या ? अभय चौंक गया .. और सावधानी बरतते हुए बोला .. मैं बाम ढूंढ रहा था .. । ओह वह तो मेरे पास नही है ..मै लेकर नहीं आयी ..अभय ने कहा कोई बात नही .. अभय ने दामिनी को देखते हुए कहा ..तुम्हें कैसे पता चला कि मैने तुम्हारा सामान छेड़ा है । दामिनी हंसते हुए बोली ..इसमें कौनसी बड़ी बात है ? हम महिलाएं अपना सामान जमाकर रखती है कोई छेड़े तो पता लग जाता है ..कौनसा सामान कहा रखा है हमे पता रहता है । अभय ने कुछ नही कहा ..और सोचने लगा ..सामान तो मैंने ठीक वैसे ही रखा है ..अटैची और बैग दोनो बंद है ..फिर भी इसे पता चल गया ..कुछ तो झोल है । दामिनी ने एक गिलास पानी भरकर अभय की ओर बढा दिया और कहा आप टेबलेट ले लीजिए। अभय ने टेबलेट ले लिया और दामिनी की नजर बचाते हुए टेबलेट को दूसरे हाथ में ले लिया और मुंह मे पानी भरकर टेबलेट निगलने का नाटक किया । पानी पीने के बाद अभय अपनी आंखे बंदकर सो जाता है । लगभग आधे घंटे बाद अभय उठकर बैठ जाता है और दामिनी से कहता है ..दामिनी अब मैं ठीक हूँ ..चलो अब डिपो हो आते हैं । दामिनी ने उत्साह भरे लहजे मे कहा ..थैंक गॉड तुम ठीक हो गये .. चलो..मै तैयार हूँ ..
अगले ही पल दोनों आर्मी डिपो के लिए रवाना हो जाते हैं । अभय जानता था कि इस समय डिपो बंद हो गया होगा किन्तु दामिनी को लेकर वह आर्मी डिपो जाता है । वहां डिपो गेट पर पहुंच कर..अभय ने कहा ओह !! दामिनी डिपो तो बंद होगया ..अब तो कल ही खुलेगा । दामिनी थोड़ी असहज हो जाती है ..लेकिन फिर भी वह डिपो की दीवारो को और तारबंदी को ताक रही है । अभय कहता है दामिनी ! हम वापस चले ?
दामिनी कहती है अपने उस दोस्त से मिलवाओगे क्या ? जिसका जिक्र तुम कर रहे थे । अभय ने तुरंत कहा.. नही .. वह भी इस समय अपने रूम पर नही है ..ऐसा करते है उसे होटल आने को कह देते है । दामिनी ने कोई कंमेट न करते हुए धीरे से कहा ..चलो वापस होटल चलते हैं । वे निकल ही रहे थे कि उनकी गाड़ी के पास एक गुब्बारे वाला आकर ..दामिनी से कहता है ..मेडम गुब्बारा ले लो ..दामिनी ने लेने से मना कर दिया.. वह जानती थी कि अभय अपनी प्यारी बेटी के लिए गुब्बारा खुद ही ले लेगा । अभय ने ठीक वही किया जैसा अनुमान दामिनी ने लगाया था ।
अभय ने एक गुब्बारा ले लिया ..और दामिनी से पैसा देने के लिए कह दिया ..दामिनी ने पर्स से पैसा निकाल कर गुब्बारे वाले को दे दिया ..अभय को वह सब याद आगया ..जो केतकी ने कहा था .. आईएसआई एजेंट अधिकतर गुब्बारे बेचने वाले के भेष में होते हैं .. अभय ने गुब्बारे वाले को सिर से पांव तक देखा .. गुब्बारे वाले का शरीर कसा हुआ था उसकी बॉडी मे एप्स साफ दिखाई दे रहे थे । अभय को समझते देर नही लगी ..उसने सोचा जरूर यह को संदेश देने आया होगा ...