Pakdouwa - The Forced Bride - 2 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | पकडौवा - थोपी गयी दुल्हन - 2

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पकडौवा - थोपी गयी दुल्हन - 2

उसे जबरदस्ती मंडप के नीचे बैठा दिया गया।उसके बैठते ही वह आदमी बोला,"पंडितजी जल्दी से आप फेरे डलवा दे"
"जी जजमान।"और पंडित जल्दी जल्दी सब काम करने लगा।अनुपम ने बहुत विरोध किया।बचने की भरपूर कोशिश भी की।पर उन गुंडों के आगे उसकी एक नही चली।न चाहते हुए भी जबरदस्ती एक अनजान युवती से उसकी शादी कर दी गयी।
बाहर एक कार सजी हुई खड़ी थी।उस कार में अनुपम और दुल्हन को बैठा दिया गया।फिर वो ही आदमी जो इस गिरोह का सरदार था बोला,"इन्हें इनके घर छोड़ आओ।"
और कार चल पड़ी।अनुपम बेहद छुब्ध था।राज की कानून व्यस्था पर।
कार अनुपम के घर के बाहर आकर रुकी थी।अनुपम कार से नीचे उतरा था।कार से उतरते ही अनुपम अपने घर मे चला गया।उसके बाद दुल्हन बनी युवती उतरी थी।उसके उतरने के बाद कार में ड्राइवर की बगल में बैठा आदमी दुल्हन से बोला,"हमारा काम शादी कराना था।हमने तुम्हारी शादी करा दी।अब तुम पति पत्नी जानो।"
कार उन्हें छोड़कर चली गयी।कार के जाने के बाद उस युवती ने इधर उधर नजर दौड़ायी।बाहर कोई नही था।फिर वह भी अंदर चली गयी।
अनुपम ने कमरे में आते ही अपने कपड़े जो उसे दूल्हा बनाने के लिए पहनाए गए थे।उतार कर फेंक दिए।वह दूसरे कपड़े पहनने लगा।वह कपड़े बदल रहा था तभी वह युवती कमरे में प्रवेश करते हुए बोली,"कैसे पति हो।अंधेरे में मुझे अकेली बाहर छोड़कर अंदर चले आये।"
अनुपम उस युवती की बात सुनकर चुप रहा।कुछ देर तक वह अनुपम के जवाब का इन्तजार करती रही।जब अनुपम कुछ नही बोला तब वह खाट पर बैठते हुए बोली,"हमे सुबह पहली बस से चलना है?"
"तुमने से किसने कहा?"उस युवती की बात सुनकर अनुपम चोंका था।
उस युवती को घर मे कदम रखे देर नही हुई थी।उसे अभी कोई गांव वाला मिला भी नही था।फिर उसे उसके जाने के बारे में पता कैसे चल गया।उसे किसने बता दिया कि वह सुबह जाने वाला है।
"अगर पत्नी को पति के बारे में मालूम नही होगा तो फिर किसे होगा?"अनुपम के चेहरे पर उभर आये आश्चर्य के भाव पढ़ते हुए वह बोली,"मुझे तुम्हारे जाने का प्रोग्राम ही मालूम नही है और बहुत कुछ तुम्हारे बारे में मालूम है।"
"अच्छा,"अनुलम उस युवती की बात सुनकर बोला,"मेरे बारे में और तुम्हे क्या मालूम है?"
"तुम्हारा नाम अनुपम है।तुम फारेस्ट ऑफिसर हो।तुम्हारी पोस्टिंग मद्रास में है।"
"और?"
"तुम्हारी विधवा माँ के गुजर जाने के बाद तुम इस मकान को बेचने के लिए गांव आये थे।तुम्हारा मकान बिक गया है और तुम हमेशा के लिए इस गांव को छोड़कर चले जाओगे।"
"यह बात तुम्हे किसने बताई है।"?
"कोई बताए या न बताए पत्नी सब जान ही लेती है।"
"पत्नी।कौन पत्नी ।कैसी पत्नी।"
"भूल गए।मैं तुम्हारी पत्नी हूँ।आज ही हमारी शादी हुई है।"
"अपने दिमाग से शादी वाला भूत निकाल दो,"उस युवती की बात सुनकर अनुपम बोला,"मेरी तुमसे कोई शादी नही हुई है और न तुम मेरी पत्नी हो।"
"तुम्हारे मना करने से कौन मान लेगा।मेरी तुम्हारे साथ पूर्ण धार्मिक रीति रिवाजों के साथ शादी हुई है।"
"अच्छा,"अनुपम बोला,"इस बात का क्या सबूत है कि तुम्हारी मेरे साथ शादी हुई है?"
"सबूत,"वह युवती हंसी थी,"हमारी शादी के गवाह वे लोग है जो वहां मौजूद थे।उस समय खिंचे गए फोटो और वीडियो ग्राफी हमारी शादी के पक्के प्रमाण है।"