Unique Proposal - 2 (Final) in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अनोखा प्रस्ताव - 2 (अंतिम)

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अनोखा प्रस्ताव - 2 (अंतिम)

शेखर के उतेजित होने पर भी वर्षा ने उसकी बात का जवाब शांत स्वर में दिया था
"क्या कह रही हो डार्लिंग?"गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए वर्षा की तरफ खिसकते हुए प्यार से बोला।
"सच कह रही हूँ।तुम अपनी कमी जानते हुए भी मुझे धोखा देने का प्रयास करते रहे।"
"यह झूठ है।जरूर तुम्हे कोई गलतफहमी हुई है।"
"पहले मैने भी इसे अपना भरम ही समझा था।पर जल्दी ही मेरा भरम विश्वास में बदल गया।फिर भी मैं चुप रही।"
"तुम मुझ पर झूंठा इल्जाम लगा रही हो।"
"यह इल्जाम नही हकीकत है।"वर्षा बोली
"तुमने अपनी शारिरिक अक्षमता दूर करने के लिये शराब का सहारा लिया।शराब भी तुम्हे पुरुषार्थ प्रदान नही कर सकी।तब तुम मुझसे कतराने लगे।मुझसे दूर रहने लगें।मैं चाहती तो उसी समय तलाक का निर्णय ले सकती थी।परंतु मैने ऐसा करना जल्दबाजी समझा।"वर्षा बोलते हुए रुक गयी।शेखर उसकी बातें सुन रहा था।तब वह फिर बोली,इसलिए तुम्हारी नामर्दी का पता चलने पर भी मैने समझौता करने का प्रयास किया था।तुम मुझ से दूर रहना चाहते थे लेकिन मैं तुम्हारे पास रहने का प्रयास करने लगी।तुम्हारे साथ टूर पर भी जाने लगी।रात को अंतरंग क्षणों के दौरान मैने पूर्ण सहयोग किया।पर सब व्यर्थ।अब और ज्यादा समय तक तुम्हारे साथ रहकर मैं अपना जीवन तबाह नही करना चाहती"
शेखर अभी तक समझता था।वर्षा उसकी कमी के बारे में नही जानती।इसलिए उसकी जुबान से सत्य सुनकर उसे ऐसा लगा।मानो उसे सरेआम नंगा कर दिया गया हो।वर्षा उसे तलाक दे ने का निर्णय ले चुकी थी।लेकिन पुरुष होने के नाते वह इस बात को मानने के लिए तैयार नही था।वर्षा औरत होकर उसे ठुकरा दे।उसे त्याग दे।उसे तलाक दे दे।इसलिए वह अपने स्वर में मिठास घोलते हुए बोला,"मेरी मात्र एक कमी के पीछे तुम एसो आराम की जिंदगी को क्यो ठुकरा रही हो।'
"औरत सिर्फ भौतिक सुख की ही भूखी नही होती।उसकी भी इच्छाएं होती है।शारिरिक जरूरत होती है।"
"मतलब?"
"विवाह स्त्री पुरुष के साथ रहने का ही नाम नही है।शादी कर बाद पति पत्नी एक दूसरे की कामवासना की पूर्ति करते है।पत्नी की शारीरिक भूख मिटाना पति का कर्तव्य है।,"वर्षा बोली,"हर विवाहिता की साध होती है मातृत्व।माँ बनकर ही औरत सम्पूर्ण कहलाती है।पति पत्नी की शारीरिक भूख शांत करने में सक्षम हो तभी वह पत्नी की गोद भर सकता है।"
"मैं तुम्हारी हर बात से सहमत हूं"शेखर ने वर्षा की बात का समर्थन किया था।
"मानते हो तुम मुझे माँ बनाने में असमर्थ हो।"
"हां मानता हूँ,"वर्षा की बात सुनकर शेखर बोला,"तलाक की जगह हम इस समस्या का दूसरा हल भी निकाल सकते है "
""तलाक के अलावा इस समस्या का और कोई क्या हल हो सकता है?"शेखर की बात सुनकर वर्षा ने प्रश्न किया था।
"एक दूसरा रास्ता है।"
"क्या?"वर्षा ने शेखर की तरफ देखा था।
"तुम मुझे तलाक मत दो।मेरी पत्नी बनी रहो।मेरी पत्नी रहकर तुम शारिरिक जरूरत पूरी करने के लिए किसी पराये मर्द से सम्बन्ध जोड़ सकती हो।"
"तुमने मुझे क्या समझ रखा है?"शेखर का प्रस्ताव सुनकर वर्षा उत्तेजित हो गयी,"क्या मैं वेश्या हूँ?"
"तुम मेरी बात का गलत अर्थ निकाल रही हो।"
"फिर तुम क्या कहना चाहते हो?"
"मुझे अपनी कमी मालूम है इसलिए यह प्रस्ताव रख रहा हूँ,"शेखर बोला,"अगर तुम मेरी पत्नी बनी रहती हो तो मैं तुम्हे परपुरुष से सम्बन्ध बनाने की छूट देने के लिए तैयार हूँ
"ऐसा समझौता करने में मेरे और एक वेश्या में क्या अंतर रह जायेगा।सिर्फ इतना वह पेट के लिए दूसरों के साथ सोती है और मैं तन की भूख मिटाने के लिए,"यह अनैतिक है और मैं इसे हरगिज स्वीकार नही करूंगी।"
"मैं नैतिक अनैतिक की बात नही कर रहा।एक रास्ता बता रहा हूँ।"
"तुम्हारी पत्नी रहकर दूसरे मर्द से तन की प्यास बुझाने का मतलब है पाखंडी जीवन जीना।इस तरह की जिंदगी में हमेशा भय बना रहेगा किसी को पता न चल जाये।अगर पता चल गया तो दोष सब मुझे ही देंगे।मैं ऐसा नही चाहती,"वर्षा बोली,"मैं सिर्फ एक ही होकर जीना चाहती हूँ।"
शेखर के पास अब कहने के लिए कुछ नही रह गया था।

सुबह जब वर्षा जाने लगी तब शेखर बोला,"हम पति पत्नी न रहे।दोस्त तो रह सकते है।"
जरूर
वर्षा चली गयी