First Love - Can't Forget It - 2 in Hindi Women Focused by Kishanlal Sharma books and stories PDF | पहला प्यार--नही भुला पाती - 2

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पहला प्यार--नही भुला पाती - 2

आशा बोलते हुए रुकी।उसने कामिनी की।तरफ देखा।कामिनी ध्यान से उसकी बात सुन रही थी।आशा फिर बोली,"तुम स्वंय एक औरत हो इसलिय औरत के दर्द को अच्छी तरह समझ सकती हो।तुम ऐसा.काम मत करना.जिससे मेरी और मेरे बच्चो की जिनदगी बरबाद हो जाये।
आशा अपनी बात कहकर चली गयी थी।कामिनी के दिमाग मे आशा के चले जाने के बाद भी उसकी ही बातें गूंजती रही।
कामिनी और शेखर की पहली मुलाकात बस में हुई थी।उस मुलाकात को शायद वे भूल भी जाते अगर उनकी दूसरी मुलाकात जल्दी न होती तो।
पहली मुलाकात में ही कामिनी ,शेखर को भा गयी थी।इसलिए दूसरी बार मिलने पर वह बोला,"मै शेखर।मै इको कम्पनी में सॉफ्ट वेयर इंजीनियर हूँ।"
अपने बारे में बताने के बाद शेखर बोला,"क्या आपके बारे में जान सकता हूँ।"
"मेरा नाम कामिनी है।मै पब्लिक स्कूल में टीचर हूँ।"
औऱ दूसरी मुलाकात में कामिनी और शेखर दोस्त बन गए थे।दोस्त बनने के बाद वे मिलने लगे।शेखर फोन करके कामिनी को बता देता की उन्हें कहां मिलना है।वे साथ घूमने लगे।पिक्चर देखने लगे।समय गुजरने के साथ कामिनी शेखर के इतने करीब आ गयी कि वह उसे चाहने लगी।प्यार करने लगी।लेकिन उसने अपनी चाहत,अपने प्यार का इजहार नही किया।वह चाहती थी।पहले प्यार का इजहार शेखर करे।ऐसा हर औरत चाहती है।पहल कभी औरत नही करती।
और कामिनी उस दिन का इन्तज़ार करने लगी जब शेखर उसका हाथ पकड़कर कहेगा,"आई लव यू।आई लाइक यु।'
पर जिस दिन का उसे इन्तज़ार था।वह दिन आता,उससे पहले आशा उसके पास आकर अपनी बात कहकर चली गयी थी।वह तो चली गयी पर उसे सोच में डाल गयी थी।
शेखर में न जाने ऐसा क्या था की उससे दोस्ती होने के बाद वह उसकी तरफ खिंचती चली गई थी।उसके इतने करीब पहुंच गई थी कि उसे अपना जीवन साथी बनाने का सपना देखने लगी।
सपना देखने से पहले उसे नही मालूम था कि वह विवाहित है।लेकिन अब उसे पता चल चुका था।
अब शेखर से शादी करने का मतलब था।आशा की सौतन बनना।और अगर वह सौतन नही बनना चाहती तो शेखर पर दबाव डालकर उसे आशा से तलाक दिलवा सकती थी।शेखर उस पर फिदा था और उसे अपनी बनाने के लिए आशा को छोड़ने के लिए तैयार हो जायेगा।ऐसा करके वह अपना घर बसा सकती थी।लेकिन ऐसा करने पर आशा का घर उजड़ जाएगा।
आशा एक दिन दरियागंज गयी थी।तभी उसे पुकारने की आवाज सुनाई पड़ी।
"अरे निशा तू?'
निशा का पति सुधीर ,शेखर की ही कम्पनी में काम करता था।आशा से मिलते ही निशा बोली,"आजकल पति देव को तूने बहुत छूट दे रखी है।""
"मतलब,"निशा की बात सुनकर आशा बोली,"मै तेरी बात का मतलब नही समझी।"
"तू बड़ी भोली है।दो बेटियों की माँ बन गयी।दुनिया में क्या हो रहा है।कुछ इस बात का भी ख्याल रखा कर।'
"निशा तू मेरी सहेली है।तू पहेलियां मत बुझा।जो भी तुझे कहना है।साफ साफ कह।"
"तू अपने पति का भी क्या कुछ ख्याल रखती है।?"
"क्या हुआ है मेरे पति को जो में ख्याल रखु?'
"तेरे पति शेखर का आजकल एक लड़की से चक्कर चल रहा है।"निशा ने जो कुछ अपने पति से सुना था आशा को बता दिया था।
शेखर का व्यक्तित्व बेहद आकर्षक था।वह सुंदरता का प्रेमी था।आशा के रंग रूप और सुंदरता पर मोहित होकर ही उसने उससे शादी की थी