Sapne - 38 in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-38)

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सपने - (भाग-38)

सपने......(भाग-38)

नवीन और आदित्य राजशेखर के इंतजार में बैठे टी वी देख रहे थे......तकरीबन 12:30 बजे राजशेखर घर पहुँचा तो नवीन और आदित्य को टी वी देखते हुए बोला, "तुम दोनो अभी तक जाग रहे हो"? "हाँ भाई तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे आओ बैठो कुछ बात करनी है"! नवीन ने उसे लगभग जबरदस्ती सोफे पर बिठाते हुए कहा....। "ओ के तो बताओ फिर ऐसी क्या बात है जो करने के लिए मेरा वेट कर रहे थे"? नवीन आदित्य की तरफ देख कर हँसते हुए बोला, "यार तूने बताया नहीं कि रश्मि को डेटिंग कर रहा है? हमें तो तूने बताया था कि तुम दोनो अभी दोस्त ही हो"? राजशेखर उसकी बात सुन कर हँस दिया और बोला," अच्छा ये बात है? यार अप्पा की जब से हॉस्पिटल से आएँ हैं, वो बस एक ही बात बार बार कॉल करके बोलते रहते हैं कि शादी करो, जल्दी करो .... उधर रश्मि की दादी भी फोर्स कर रही है रश्मि के फादर को.......तो हम दोनो को ही ठीक लग रहा है सब एक दूसरे में तो सोच रहे थे कि नेक्सट स्टेप पर चलें.....तो मैं सोचता ही रह गया और रश्मि ने प्रपोज कर दिया तो मैं कैसे हाँ कह दी".....! "वाह क्या बात है साले तेरी तो लॉटरी निकल गयी......बहुत लकी है जो लड़की ने ही प्रपोज कर दिया, नहीं तो तेरा इंतजार करती तो शायद तू शादी करने के बाद ही उसको बोल पाता"! आदित्य ने मजाक किया तो राजशेखर कहाँ पीछे रहने वाला था... बोला, "आदित्य तूने तो आस्था को पहले प्रपोज किया ना तो कर रहा है न उसके जवाब का अब तक इंतजार "!! "हाँ इस बात में तो मैं भी राज भाई के साथ हूँ"....नवीन ने आदित्य को छेड़ते हुए कहा।
आदित्य भी कहाँ बुरा मानने वाला था, बोला......" हाँ सालों हँस लो। जल्दी ही तुम दोनों का जीजा मैं ही बनूँगा। आस्था आज नहीं तो कल हाँ कहने ही वाली है"! राजशेखर बोला, "आदित्य मैं दोस्त ही ठीक हूँ...तुम दोनो का मुझे आस्था के भाई मत बना, इसके लिए नवीन ही काफी है.....मेरा क्रश थी आस्था......पर उसे मैं पसंद नहीं आया....पर जब पता चला कि उसने नचिकेत को भी न बोल दिया है तब से बुरा लगना कम हो गया"! नवीन उसकी बात सुन कर बोला," हाँ मेरे लिए तो आस्था बहन ही है......अब तुम दोनो निपट लो....वैसे आदित्य भाई तुम्हारा तीसरा नं है......आस्था के प्यार में पडने वालों में....पता नहीं आगे क्या होगा"?
आदित्य नवीन की बात सुन कर मुस्कुरा दिया," हाँ यार क्या पता उसके दिल में कोई और ही हो"! "मेरे ख्याल से ऐसा नहीं है....अभी तुम उसके सामने रहते हो, बाते करते हो तो और घूमते हो तो वो इतना सीरियसली तुम्हें ले नहीं रही.......मैं तो कहता हूँ कुछ दिन तुम कहीं घूम आओ....
जब तुम सामने नहीं रहोगे तो तुम्हारी वैल्यू पता चलेगी! क्या कहते हो राज भाई"? नवीन ने अपनी बात पर सहमति के लिए राजशेखर से पूछा तो वो बोला, "मुझे इन सब का ज्यादा आइडिया तो नहीं है पर फिर भी मुझे लगता है कि नवीन ठीक कह रहा है".....। आदित्य दोनो की बात सुन कर बोला, " हम्म ठीक है सोचते हैं इसके बारे में पर अब चलो सोया जाए.....कल तुम लोगो को तो जाना है न काम पर"...!! तीनो अपने अपने कमरे में चले गए.....। आदित्य काफी देर तक नवीन ने जो कहा था, उसके बारे में सोचता रहा......उसे भी उसकी बात ही ठीक लग रही थी...... देर तो सोने में पहले ही हो गयी थी......आदित्य तकरीबन सुबह के 4 बजे डिसाइड करके कि आगे क्या करना है? सोच कर सो गया......।
उधर आस्था इतने दिनो की थकान की वजह से दोपहर के 12:30 बजे उठ कर बाहर आयी तो उसे बाहर कोई नहीं दिखा......। दोपहर के लिए खाने की तैयारी हो रखी थी.....सविता ताई बाथरूम में कपड़े धो रही थी। आस्था फ्रेश हो कर अपने लिए कॉफी बनाने लगी तो आदित्य भी हॉल में आ गया और आस्था के कॉफी बनाते देख बोला, "आस्था प्लीज मेरे लिए भी कॉफी बना दो"? ठीक है, तुम बैछो अभी ला रही हूँ....मैं सैंडविच बना रही हूँ तुम खाओगे? आस्था ने पूछा ते आदित्य बोला," "हाँ मेरे लिए भी बना देना....बहुत भूख लगी है, रात को लेट सोया तो नींद ही नहीं खुली"। "तुम लोग क्या करते रहे जो लेट सोए? दारू पार्टी चल रही थी क्या"? आस्था ने किचन से ही पूछा......"नहीं यार वो राजशेखर रश्मि के साथ डिनर डेट पर गया था तो बस उसकी टाँग खींच रहे थे".....बात करते हुए आदित्य किचन में आ गया । उसके बाद उसने बताया कि, "राजशेखर को रश्मि ने प्रपोज किया है और कितनी अच्छी बात है न कि अब जल्दी ही शादी भी हो जाएगी क्योंकि दोनो की फैमिली चाहती है कि शादी जल्दी हो"। आदित्य की बात सुन कर आस्था बोली, "ये तो बहुत अच्छी बात है.....पहले महाराष्ट्रियन और क्रिश्चियन शादी देखी अब साउथ इंडियन शादी में जाने को मिलेगा....खूब मजा आने वाला है.....एक बार फिर बैंग्लूरू जाने को चांस मिलेगा...."!" हाँ ये बात तो है", कॉफी पीते हुए आदित्य ने कहा....।"आस्था मैं आज रात को दिल्ली जा रहा हूँ, पापा को कॉल आया था कुछ अर्जेंट काम है, फिर मैं सोच रहा हूँ कि एक बार राधा अम्मां से भी मिलता आऊँगा.......काफी दिन हो गए हैं"। आदित्य ने कहा तो आस्था पहले तो एकदम चुप हो गयी.....फिर बोली, "काम जरूरी होगा तभी तुम्हारे डैड बुला रहे हैं.....फिर भी कितने दिन में तुम आ जाओगे"? "ये तो जा कर पता चलेगा कि कितने दिन का काम है, जैसे ही हो जाएगा....वापिस आ जाऊँगा"। आस्था की बात का जवाब देते हुए आदित्य ने कहा.....और कहते हुए उसका ध्यान आस्था के चेहरे पर गया......शायद आस्था किसी सोच में डूबी थी, उसके चेहरे पर एक रंग आ रहा था दूसरा जा रहा था.....एकदम उदास सी बैठी ही रह गयी...। क्या हुआ आस्था कहाँ खो गयी?आदित्य ने पूछा तो आस्था हड़बड़ा सी गयी," कुछ नहीं सोच रही, मैं तो सोच रही थी के कुछ दिन काम से छुट्टी है मोरी तो हम सब खूब मस्ती करेंगे, पर तुम तो जा रहे हो...कोई नहीॆ जब तुम वापिस आओगे तब मस्ती कर लेंगे.....आस्था ने खुश होने का दिखावा करते हुए कहा......"। आदित्य उसको गौर से देख रहा था.... और मन ही मन सोच रहा था कि नवीन का आइडिया ठीक जा रहा है, आस्था उसके जाने से उदास हो गयी है....मन ही मन में तो लड्डू फूट रहे थे आदित्य के पर ऊपर से बोला,
" आस्था मैं ही तो जा रहा हूँ बस, बाकी दोस्त तो यहीं हैं न ? नवीन राजशेखर और अपने नचिकेत के साथ मजे कर लेना....फिर कुछ दिन में श्रीकांत और सोफिया भी आ जाएँगे......फिर तुम्हें कोई बोर नहीं होने देगा।
आदित्य ने अपनी बातों से और आस्था के जवाबों से उसके दिल में क्या है जानने की कोशिश कर रहा था....." आदित्य वो सब तो ठीक है, पर मैं फिर भी तुम्हें तो मिस करूँगी ही न"? आस्था की बातें सुन कर आदित्य को इस खेल में मजा आ रहा था," तुम क्यों मुझे मिस करने लगी? इतने दोस्त हैं हमारे.. मेरी याद भी नहीं आने देगा कोई"? आस्था के आदित्य की बात सुन कर थोड़ा गुस्सा आ गया," हाँ मैं मिस करूँगी क्योंकि सबसे पहले मेरी दोस्ती तुमसे ही तो हुई थी.....तो फिर हर फ्रैंड जरूरी होता है....."!गुस्सा आने के बावजूद आस्था ने बात को संभाल लिया। हर एक फ्रैंड जरूरी होता है, वाली टैग लाइन सुन कर आदित्य जो खूब मजे ले रहा था कुछ देर पहले अब उसके हौंसले पस्त हो गए और उदास होने की बारी आदित्य की थी....। आस्था भी कहाँ कम थी, वो अपने दिल की बात छुपाना तो जानती ही थी आखिर अब तो वो सचमुच की ड्रामा क्वीन बन गयी है...।
शाम को आदित्य टाइम से तैयार हो कर एयरपोर्ट के लिए निकल गया......गाड़ी वो इस बार एयरपोर्ट की पार्किंग में नहीं छोड़ना चाहता था, सो वो खुद कैब में चला गया और आस्था को बोल गया कि कहीं जाना हो तो राजशेखर को चलानी आती है कार तो यूज कर लेना।
क्रमश: