kamine dost in Hindi Letter by ANKIT J NAKARANI books and stories PDF | कमीने दोस्त

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कमीने दोस्त

सभी लोग को सिर्फ दो टोपिक मिल गये है एक दोस्त और दूसरा प्यार इसके आलावा कोई कुछ लिखता ही नहीं साला में भी कुछ ऐसा ही लिख रहा हु अपने ही पैर पे कुल्हाड़ी मार रहा हु

कभी कभी वो पुराने दिन याद आते है तो सोचता हु की वो सब पुराने दोस्त एक साथ आ जाये तो कैसा होगा, फिर ये सोचता हु की वो सब किसी एक की शादी में साथ आये तो दुल्हे की तो बैंड बज जाएगी

दोस्तों से अलग होने से पहले तो बादमे बहुत कम लोग इसके बारे में सोचते है क्युकी घर की जिम्मेदारिया उसको ये याद नहीं आने देंगे

कितना बकवास लिख रहा हु में वो तो आपको पढने के बाद ही पता चलेगा क्युकी अभी सिर्फ उंगलिया की बोर्ड पे घूम रही है बाकि में तो अपने बचपन में दोस्तों के साथ खेल रहा हु शरीर वर्तमान में है मगर मन मेरा बचपन की यादे गुनगुना रहा है, जब जब लिखना चालू करता हु यह फीलिंग आती है कभी दोस्त तुम भी यह कौशिश कर लेना

कुछ दोस्तों की फरियाद थी की में उनको याद नहीं करता हु मगर क्या करू दोस्त याद करता हु वो भी बतानेका वक़्त कहा मिलता है इस भीड़ भाड की दुनिया में कभी कोई दोस्त रह जाता है तो बुरा लगता है, अरे रुको रुको मुझे नहीं उसको क्योकि अब मे वो पत्थर हु को पानी में डालोगे तो तैरेगा और सर पे डालोगे तो फोड़ देगा इस लिए फरियाद मत करना की याद नहीं कर रहा हु और हा कमीनो फोन कर के यह तो बोलना ही मत की तू तो बड़ा आदमी हो गया हमे थोड़ी याद करेगा सब थोडा निचे का पढ़ ले और अपना काम कर

दोस्तों, हमने जीनेका थोडासा तरीका बदला तो सब कह रहे है की हम बदल गये है,

क्या कभी सूरज प्रकाश देना छोड़ सकता है?

क्या बादल बरसना छोड़ सकते है?

कुत्ते भोंकना छोड़ सकते है? उसकी पुंछ सीधी होती है? नही ना..... तो भला हम कैसे बदल सकते है?

• जो होस्टेल मे सब चीज अस्त व्यस्त रखता था, आज वोही ओफिस की टेबल साफ सुथरा नही रखता है

• हम वोहि Bunker हैजो कभी Lecture गुल्ली करते थे, आज अच्छी Job के लिए पुरी कंपनी को गुल्ली मार देते है

• हमारे बदनसीब कान उस वक़्त प्रोफ़ेसर के बोरिंग लेक्चर सुनते थे, वोह बदनसीबी आज भी कायम है अब वो Boss के भाषण सुन रहे है

• उस वक़्त हमारी बात न मानने पर दोस्तोंको गलिया देते थे, आज वो कस्टमर खा रहे है

• हम वो थे जो बिना questionnaire भरे analysis कर देते थे, और पूरा रिपोर्ट ऐसे ही सबमिट करवा देते थे फिर भी किसी को पता नही चलता था, आज कस्टमर से मिले बिना रिपोर्ट बना कर सबमिट करवा देते है फिर भी किसीको पता नही चलता

• हम कब होमवर्क करतेथे?, और आज भी कभी टारगेट पूरा नही करते.

• पेहले दोस्तो को फोन कर के एक्साम की IMP. पूछा करते थे, अब हालचाल पूछते है, गप्पे लगाते है

बस अब ज्यादा हो गया, उस वक़्त एक्साम मे पढ़नेका वक़्त नही था मेरे दोस्तों के पास, वो आज इतना कैसे पढ़ेगा ???

लिखना इस लिये पडता है क्युकी शब्द मेरी पहचान बने तो बेहतर होगा, चेहरे का क्या है, वो तो मेरे साथ ही चला जायेगा...........

૧૦/૦૬/૨૦૧૪