Hindi Quote in Poem by Dev Srivastava Divyam

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अंधकार, समाज का


सिसकारियां उसकी अब,
इन अंधेरों में हैं गूंज रहीं ।
खुद को ही संभाल रही वो,
और खुद में ही घुट रही ।

एक भयावह घटना ने,
उसका है ये हाल किया ।
पीड़ित थी वो फिर भी लोगों ने,
उससे ही सवाल किया ।

सवाल उठे कि उसने किया क्या, 
जो एक दरिंदा उससे आकर्षित हुआ ।
किसी ने दोष दिया कपड़ों को, 
किसी ने चरित्र को दूषित किया ।

चाहा था उसने पंख फैला,
ऊंचे आसमान में उड़ना ।
पर उससे छीन लिया गया,
वह आसमां ।

सपने थे उसके जितने भी,
एक रात में टूट गए ।
पंख भी उसके कुचले हुए,
और अपने भी हैं रूठ गए ।

अब जीवन उसका अंधकार में,
है धकेला जा चुका ।
गलती तेरी क्योंकि लड़की है तू, 
ये उसे बताया जा चुका ।

नियम इस संसार में,
कैसे हैं आ गए !
दोषियों को पीड़ित और,
पीड़ित दोषी बताए गए ।

अब बस इस समाज में, 
बदलाव को लाना होगा ।
हम सबको मिल कर इन,
नियमों को हटाना होगा ।

~ देव श्रीवास्तव " दिव्यम " ✍️

Hindi Poem by Dev Srivastava Divyam : 111955557
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