उस शहर की हवाएं
आज फिर उस शहर से गुजरा,
जहां हम मिले थें कभी ।
उसकी हवाओं में तुम्हारी,
बसी हैं यादें आज भी ।
महसूस किया उन हवाओं को,
तो याद आई कहानी पुरानी ।
वो हमारा पवित्र प्रेम जो,
इस जहां के लिए था बेइमानी ।
वो मिलना हमारा,
छिप छिप कर सबसे ।
वो बातें करना,
बहानों के जरिए ।
वो गुजरना मेरा,
तेरे घर के सामने से ।
वो आना तेरा,
मुझसे नोट्स लेने ।
वो कसमें वो वादें,
जो किए थें हमने साथ में ।
अब तो वो बातें,
रह गईं बस याद में ।
डोली जब उठी थी तुम्हारी,
ये हवाएं थी साथी मेरी ।
आंसू मेरे पोंछ कर,
मानो पीठ थपथपाती मेरी ।
बातें तुमसे करने को आज,
ये दिल बेकरार हो उठा ।
आज फिर इन हवाओं में,
हमारा प्यार महक उठा ।
देख कर उन गलियों को,
याद आया हंसना तुम्हारा ।
हर एक मोड़ से गुजरते हुए,
दिख रहा था चेहरा तुम्हारा ।
उस शहर की हवाएं,
जैसे सांसें हैं तुम्हारी ।
उस शहर की जान,
मानो बातें हैं तुम्हारी ।
दिल की धड़कनों में,
बस यादें हैं तुम्हारी ।
मेरे इन सांसों में,
बस सांसें हैं तुम्हारी ।
दिल की गहराइयों में,
बसी हो तुम जैसे ।
कोई और ना कभी,
बस पाएगा ऐसे ।
मन में ख्याल आया,
बातें करूं मैं तुमसे ।
पर अब तो सिर्फ सपनों में,
होती है मुलाकातें तुमसे ।
भूल गया था मैं जान बूझ कर,
इस शहर को, इन हवाओं को ।
पर कैसे भुलाऊं मैं तेरे साथ बिताए,
वो पल और उन यादों को ।
अब इन हवाओं से है बस,
इतनी सी गुजारिश ।
कि पहुंचा दें उस रब तक,
मेरे दिल की ये ख्वाहिश ।
ये जन्म था तेरा,
भले ही किसी और के लिए ।
लेकिन अब हर जन्म,
हम दोनों हों एक दूजे के लिए ।
और इसी के साथ एक,
हवा का झोका आया ऐसे ।
सुन कर मेरी बातों को,
दे रहा हो आश्वासन जैसे ।
~ देव श्रीवास्तव " दिव्यम " ✍️