....एक प्रेमी अपने प्रेमिका को मिलने उसके घर जाता है।
घर का दरवाजा वो खटखटाता है....
अंदर से आवाज आती है....कौन.?
प्रेमी कहता है .... मैं।
प्रेमिका उससे कहती है...तुम अभी तयार नहीं हो...एक साल बाद आना।
एक साल पूरा बीतने के बात वह उसके द्वार पर जाता है...
फिरसे कौन है का..?
उत्तर मैं ...हूं यही आता है।
उसने कहा...तुम्हारी तयारी पूरी हो जाने के बाद आना।
एक साल बाद वो फिर गया।
उसने पूछा , कौन है..?
वो कहता है...अब तुम ही हो।
मैं कुछ बचा ही नहीं।
उसका उत्तर पाकर....दरवाजा खुल गया।
प्रेम और भक्ति में "मैं" शब्द रहता ही नही।
_व पु.