सरकारें गिरती और उठती है
मगर बदलती नहीं जनता
वो तब भी बिक जाती थी
एक बोतल और कुछ एक नोटो में
बिक जाते है वोट सारे आज भी
और नेता छप जाते है प्रथम पेज के फोटो में
इलेक्शन में जो घुमा करते
गली गली चौबारों में
हाथ जोड़े सफेद कुर्ते
और मोटे –मोटे मालों में
दिखते नहीं अब हमें
क्या गिनती करे तुम्हारी कर्जदारों में
तुम घुमा करते मुंह छुपाए
ए.सी.वाले कारों में
भ्रष्टाचारी जात तुम्हारी
उजले कुर्ते खद्दरधारी
शासन और शोषण है तुम्हारी खून में
मीठी बाते और गद्दारी है तुम्हारी हर एक बूंद में

Hindi Poem by चंद्रविद्या चंद्र विद्या उर्फ़ रिंकी : 111928358

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