मेरे जीगर मेरे हमसफ़र।
अमावश की रातें गुजरनेको है
पुर्नीमाका चांद 🌕नीकलनेको है
थोड़ा धीर धरो ओ इन्सान
थामले दामन राधावरका
खुशीओकी बारीश होनेको है

Hindi Poem by Saroj Bhagat : 111928148

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