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તેની એક નજર, અરમાનોને ખાખ કરી ગઇ, તે આવી અમેરિકાની જેમ, મને ઇરાક કરી ગઇ.
*हार किसी की नही,आज राष्ट्र हारा है,* *गीदड़ों के झुंड ने शेर मारा है।* *बिक गए लोग,बिक गई आत्मा,* *पोकरण में एक मुस्लिम के आगे सन्त हारा है।।* *मेरी समझ मे नही आता है किसे गद्दार कहु,* *यहां तो हिन्दू के हाथ हिन्दू हारा है।* *एक नारी की हठ के आगे,* *कैसे पूरा राजस्थान बेचारा है।* *एक राष्ट्र का लाडला देश बनाने निकला था,* *अब पता चला कुछ हिन्दुओ को अब भी पप्पू प्यारा है।।* *देश मुर्दाबाद के नारे सुनकर भी खून नही खोलता,* *ओर वही गद्दार कहते है देश हमारा है।।* *आज इस देश का सच्चा सपूत नही,* *सिर्फ सिर्फ सिर्फ राजस्थान हारा है।।* *वन्दे मातरम*
EVM मशीन को आज इमानदारी का सर्टिफिकेट मिला बिचारी 5 सालोसे बदनामी की जिंदगी जी रही थी ???
जाने क्यूं अब शर्म से,चेहरे गुलाब नही होते। जाने क्यूं अब मस्त मौला मिजाज नही होते। पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें। जाने क्यूं अब चेहरे, खुली किताब नही होते। सुना है बिन कहे दिल की बात समझ लेते थे। गले लगते ही दोस्त हालात समझ लेते थे। तब ना फेस बुक ना स्मार्ट मोबाइल था ना फेसबुक ना ट्विटर अकाउंट था एक चिट्टी से ही दिलों के जज्बात समझ लेते थे। सोचता हूं हम कहां से कहां आ गये, प्रेक्टीकली सोचते सोचते भावनाओं को खा गये। अब भाई भाई से समस्या का समाधान कहां पूछता है अब बेटा बाप से उलझनों का निदान कहां पूछता है बेटी नही पूछती मां से गृहस्थी के सलीके अब कौन गुरु के चरणों में बैठकर ज्ञान की परिभाषा सीखे। परियों की बातें अब किसे भाती है अपनो की याद अब किसे रुलाती है अब कौन गरीब को सखा बताता है अब कहां कृष्ण सुदामा को गले लगाता है जिन्दगी मे हम प्रेक्टिकल हो गये है मशीन बन गये है सब, इंसान जाने कहां खो गये है! इंसान जाने कहां खो गये है.
ज़मीर ज़िंदा रख, कबीर ज़िंदा रख, सुल्तान भी बन जाए तो, दिल में फ़क़ीर ज़िंदा रख, हौसले के तरकश में, कोशिश का वो तीर ज़िंदा रख, हार जा चाहे जिन्दगी मे सब कुछ, मगर फिर से जीतने की वो उम्मीद जिन्दा रख, बहना हो तो बेशक बह जा, मगर सागर मे मिलने की वो चाह जिन्दा रख, मिटता हो तो आज मिट जा इंसान, मगर मिटने के बाद भी इंसानियत जिन्दा रख।
પ્રેમને વિસ્તારવાનું સ્હેજ પણ સહેલું નથી, નફરતોને નાથવાનું સ્હેજ પણ સહેલું નથી. દુશ્મનોની ભીડમાં એક દોસ્તને જોયા પછી, દોસ્તી નિભાવવાનું સ્હેજ પણ સહેલું નથી. ભીતરે ડૂમો છુપાવી ક્યાં સુધી હસવું ભલા ! રોતી આંખે બોલવાનું સ્હેજ પણ સહેલું નથી. ક્યાં છે અઘરું ન્યાય કરવું આંખે પાટા બાંધીને, જુલ્મને સહેતા જવાનું સ્હેજ પણ સહેલું નથી
??? વેદના મારી જીવન સંગીની હતી, મેં તો સતત એની ઝંખી હતી, પ્રેમ નું ઉપવન હતું આ મન છતા, પ્રેમ ની ચારો તરફ તંગી હતી… ???
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