हँसती हुइ आँखो मे क्युं आ जाते है ये आँसु,
युं खुशी को अधुरा सा बना जाते है ये आँसु।
दर्द इतना हे सहा,खाली हो गया समंदर अश्को का,
फिर जाने कहा से आँखो मे भर आते है ये आँसु।
खुश हुं मैं,ना कोइ शिकवा है ज़माने से न तकदीर से कोइ शिकायत,
मेरी इस बात को झुठा क्युं बना जाते है ये आँसु।
शायद खबर हे इनको भी किस कदर तन्हा हुं मै,
तनहाई मे मेरा साथ निभा जाते है ये आँसु।