........एक कविता हर माँ के नाम......
घुटनों से रेंगते रेंगते....
कब पैरों पर खड़ा हुआ....
तेरी ममता की छांव में....
जाने कब मैं , बड़ा हुआ...
कला टिका , दूध मलाई...
आज भी ...सब कुछ वैसा ही है....
मैं ही मैं हु ... हर जगह...
माँ प्यार.. ऐ तेरा कैसा है...
सीधा सादा ..भोला भाला...
मैं.. ही सब से अच्छा हु....
कितना भी हो जाऊं.. बड़ा...
माँ मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ........
कविता परिकल्पना .... परम
सहयोगी..... माया..... 14/09/2017