कभी सोचा न था कि तू ऐसी जुदाई देगा,
मुस्कुराते हुए छोड़कर जाने की सफाई देगा।
हम तो तेरे बिना साँस लेना भी भूल गए थे,
और तू… हमें भूलकर किसी और की दुनिया बसाई देगा।
तेरे बाद ये दिल धड़कता तो है, मगर जीता नहीं,
रातें कटती हैं, पर सुबहें कहीं दिखती नहीं।
मेरी रूह तक घायल है तेरे जाने से,
तू बिछड़ा क्या… मैं दर्द का कैदी बन कर रह गया यहीं।
कहते हैं वक़्त हर ज़ख्म भर देता है,
पर मेरे घाव तो तेरे नाम के हैं… कैसे भरें?
तूने जो टूटा है—वो दिल नहीं, मेरा यकीन था,
और टूटे यकीन की मरम्मत कभी किसी से नहीं होती।"
- kajal jha