ना तुमसा था कोई, ना होगा बेवफ़ा
ना तुमसा था कोई, ना होगा बेवफ़ा,
दिल ने जिसे चाहा, वही दर्द बन गया सदा।
होठों पे तेरी बातें, मुस्कान तेरे नाम की,
पर दिल के किसी कोने में, तस्वीर थी किसी और की।
तुझे प्यार किया हमने, ये था जुर्म हमारा,
ख़ुद से बढ़कर चाहा, ये था ग़लती का इशारा।
तू सामने था, मगर फ़ासले भी साथ थे,
हम खामोश थे, पर हज़ार सवालात थे।
वक़्त गुज़र गया, मगर यादें वहीं रुकीं,
तेरी चाह में जलीं, मेरी सारी रौशनी।
ना तुमसा कोई था, ना कोई होगा यहाँ,
पर किस्मत ने लिखा, जुदाई का फ़साना वहाँ।