झूठी शोहरत और झूठी औरतझूठ के सिंहासन पर जो,
बैठे हैं अभिमान लिए,
वे गिरते हैं हर आलम में,
सत्य जब लेता नाम लिए।फूल जो ख़ुशबू से खाली,
कितने दिन महकेंगे भला?
चेहरे की झूठी चमक मिटे,
दिल में जो अँधियारा पला।शोहरत झूठी रेत समान,
हवा चली तो उड़ जाएगी,
सच के दीपक से जो दूर,
वो हर रात बुझ जाएगी।औरत हो या हो सिंगासन,
यदि छल की डोर से बँधी —
तो एक दिन टूट ही जाती,
सत्य की आंधी अगर चली।जो सच्चा है, वही रहेगा,
समय उसे परख ही लेगा,
झूठ की उम्र बस इतनी सी —
जब तक सच खुद चल न देगा।
आर्यमौलिक