“उल्लू राज”
दिन वाले सोते हैं, रात वाले नोट गिनते हैं,
जो दिखे भोले, वही खेल के नियम लिखते हैं।
लक्ष्मी भी जानती है किसके घर ठहरना है —
जहाँ अंधेरा गाढ़ा हो, वहाँ ही उसका ठिकाना है।
जो विवेक से चले, वो भूखा रह जाता है,
जो चाल से खेले, वो साम्राज्य बना जाता है।
बाज़ार में प्रकाश नहीं बिकता,
सिर्फ़ अंधेरे का इस्तेमाल करने की कला बिकती है।