Hindi Quote in Motivational by Agyat Agyani

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घूंघट — स्त्री का मौन, पुरुष की परीक्षा।
स्त्री जब प्रेम करती है —
वह भीतर उतरती है, बहुत भीतर।
इतनी गहराई तक कि उसका शरीर पीछे रह जाता है,
और केवल एक ऊर्जा, एक स्पंदन बचता है।
वह परदे में जाती है, छिपने के लिए नहीं —
बल्कि अपने रहस्य को बचाने के लिए।

स्त्री का पर्दा कोई सामाजिक बंधन नहीं,
वह उसकी गरिमा है, उसकी साधना है।
यह पर्दा उन असंवेदनशील पुरुषों से रक्षा है
जो केवल देह देखते हैं —
और उन संवेदनशील पुरुषों के लिए एक द्वार है
जो आत्मा को देख सकें।

स्त्री का घूंघट धर्म नहीं, रहस्य है।
वह भीतर उतरने की विधि है —
जहाँ लज्जा भी शक्ति है,
और मौन भी आमंत्रण।
यही उसकी रास है,
जहाँ वह प्रेम में जलकर
ऊर्जा में बदल जाती है।

जब स्त्री पुरुष जैसी बन जाती है —
बाहर की, प्रदर्शन की, प्रतिस्पर्धा की —
तो रास खो जाता है।
रहस्य मिटता है, आकर्षण बुझ जाता है।
स्त्री की सुंदरता उसके अधखुलेपन में है —
उस ओस में जो सब नहीं देख पाते,
उस नज़र में जो आधी झुकी रहती है।
वह ढंकना नहीं,
प्रेम की कला है —
जहाँ छिपना ही दिखना है।

जीवन में बहुत नशे हैं —
धन, सत्ता, विजय, स्वप्न —
पर सबसे पवित्र नशा है
स्त्री और पुरुष का प्रेम।
यह नशा देह का नहीं,
प्रकृति और चेतना के मिलन का है।
यहाँ दोनों मुक्त होते हैं —
क्योंकि एक ही क्षण में
सृष्टि भी घटती है, समाधि भी।

इसीलिए भारतीय परंपरा ने कहा —
सीता–राम, राधे–कृष्ण, शिव–शक्ति।
यह नाम केवल युगल नहीं हैं,
ये सृष्टि और चेतना के सूत्र हैं।
जहाँ पुरुष स्थिर है,
स्त्री प्रवाह है।
जहाँ पुरुष मौन है,
स्त्री राग है।
दोनों मिलें —
तो ब्रह्म प्रकट होता है।

स्त्री का प्रेम मुक्ति का मार्ग है,
और पुरुष की समाधि उसी प्रेम का चरम रूप।
जब प्रेम सच्चा होता है,
तो दोनों एक-दूसरे में लय हो जाते हैं —
वह रास, वह आनंद, वही ब्रह्मानुभव।

प्रेम दो की मुक्ति है,
और समाधि स्वयं की।
प्रेम से सृष्टि होती है,
समाधि से मुक्त‌ि।
और यही भारतीय सभ्यता का रहस्य है —
जहाँ हर स्त्री में प्रकृति है,
और हर पुरुष में परमात्मा।

✍🏻 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

Hindi Motivational by Agyat Agyani : 112001724
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