भीड़ में रहकर भी अक्सर तन्हा हो जाते हैं,
अपनों के बीच होकर भी गुमनुमा हो जाते हैं।
दिल की खामोशी को कोई समझता नहीं,
इसीलिए दर्द के किस्से हवा हो जाते हैं।
रातें सवाल करती हैं, दिन जवाब नहीं देता,
सपनों की भीड़ में अरमान लापता हो जाते हैं।
अकेलापन ज़िंदगी का वो साया है,
जो हर खुशी के बाद और गहरा हो जाता है।
- kajal jha