जब रघु ने सान्वी को,
किसी और के साथ देखा सामने,
उसके दिल ने कहा,
"बिन मौसम बरसातें जब होती हैं,
तब ही तो दिलों में साजिशें रचती हैं।"
खुशी इस बात की,
तू मेरे साथ है,
पर दुख उस बात का,
तू किसी और के पास है।
मैं वो बरसता पानी हूँ,
ना किनारे का, ना बादल का,
जो कभी किसी का हो न सका।
तेरी यादें रहेंगी,
इस दिल में, ना किसी और की,
क्योंकि मैं जो भी कर लूँ,
तू मुझसे प्यार न कर सकी।
तू कितनी भी दूर चली जाए,
ये दिल तुझे भुला न पाए।
हमेशा तेरा रहूँगा,
एक प्रेमी बनके,
एक दीवाना बनके।