✧ परिचय ✧
मनुष्य का सबसे पुराना प्रश्न है — “ईश्वर कौन है?”
यह प्रश्न जितना सरल दिखता है, उतना ही गहन और अनुत्तरित है।
शब्दों में दिए गए उत्तर उधार लगते हैं, पर अनुभव की गहराई में उतरते ही वही प्रश्न जीवित हो उठता है।
विज्ञान ने बाहर का सूक्ष्म खोजा — परमाणु, ऊर्जा, नियम।
आध्यात्म ने भीतर का सूक्ष्म खोजा — आत्मा, चेतना, मौन।
दोनों दिशाएँ अलग लगती हैं, पर जड़ एक ही है।
जहाँ विज्ञान का अंत है, वहीं अध्यात्म का आरंभ है।
यह ग्रंथ चार भागों में उसी यात्रा को खोलता है:
• भाग 1 — निबंध-अध्याय (प्रस्तावना + 6 अध्याय + उपसंहार)
• भाग 2 — सूत्र-व्याख्यान (प्रत्येक अध्याय के सूत्र व संक्षिप्त व्याख्या)
• भाग 3 — सूत्रात्म संग्रह (51 सूत्र)
• भाग 4 — प्रमाण-अध्याय (शास्त्र व विज्ञान के उदाहरण)
इस यात्रा का लक्ष्य: परिभाषा नहीं, अनुभव।
अंततः बचता है मौन — और मौन ही ईश्वर की सबसे सच्ची पहचान है।
आगे पढ़ें: ✧ ईश्वर — विज्ञान और आत्मा की यात्रा ✧ (https://www.agyat-agyani.com/2025/09/blog-post_65.html?m=1)
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