रात भर जाग कर भी, सुकून नहीं मिलता,
ये कैसा दर्द है, जिसकी दवा नहीं मिलता।
ज़िंदगी की राह में, हर मोड़ पर तन्हाई है,
आँखों में आँसू हैं, पर कोई कंधा नहीं मिलता।
हर ख्वाहिश को दिल में, दफ़न कर लिया है,
ये कैसा सफ़र है, जिसका कोई अंत नहीं मिलता।
यादें ही अब बस, मेरा सहारा हैं,
जब भी याद करूँ, उनसे पीछा नहीं मिलता।
दिल की हर धड़कन में, एक अजीब उदासी है,
जो इस दिल को अब, पहले जैसा नहीं मिलता।
- kajal jha