किताब ज़िंदगी की
ज़िंदगी की किताब अनोखी है,
ना कोई प्रस्तावना, ना कोई भूमिका लिखी है।
पहला पन्ना खुलते ही सांसें मिलती हैं,
और आख़िरी पन्ना बंद होते ही यादें सिमटती हैं।
हर दिन एक नया शब्द जुड़ जाता है,
हर लम्हा एक पंक्ति बन जाता है।
कभी अक्षर मुस्कुराते हैं,
कभी विराम उदासी में डूब जाते हैं।
गलतियों की स्याही भी पन्नों पर गिरती है,
पर वही स्याही सीखों की रेखा लिखती है।
सपनों की कलम जब उड़ान भरती है,
तो किताब उम्मीदों से रोशन हो जाती है।
कुछ पन्ने दूसरों के लिए लिखे जाते हैं,
कुछ पन्ने खुद से छिपाए जाते हैं।
कहीं मोहब्बत की कहानियाँ बसती हैं,
तो कहीं तन्हाइयों की गहराईयाँ सजती हैं।
इस किताब का कोई दोहराव नहीं,
कोई कॉपी नहीं, कोई जवाब नहीं।
हर इंसान की किताब अलग होती है,
हर सफ़र की दास्तान अनमोल होती है।
और जब आख़िरी पन्ना बंद होगा,
तो यही किताब हमारी गवाही देगा—
कि हमने कैसा सफ़र तय किया,
कितना जिया, कितना सीखा, और कितना दिया।
किताब ज़िन्दगी की