ज़िंदगी से अब तो राहत-सी मौत चाहती हूँ,
तेरी जुदाई में बस ख़ामोश रात चाहती हूँ...
तेरे बिना हर ख़ुशी बेरंग हो चली है
अब तो दिल के ज़ख़्मों की ही सौग़ात चाहती हूँ....
इश्क़ में खोकर सिर्फ़ आँसू ही मिले मुझको,
अब तो इस सफ़र का आख़िरी ठिकाना चाहती हूँ.....
जितना भी जिया, तेरे नाम लिख दिया,
बाक़ी के लम्हों में सिर्फ़ फिराक़ चाहती हूँ...
‘मैं’ अब मोहब्बत का क़ैदी नहीं रहना चाहती,
तेरी बेरुख़ी से आज बस मौत चाहती हूँ...
- Manshi K