मेरी कहानी
इश्क़, पागलपना यह है जूनून-
"वो कभी मिला नहीं था ठीक से,
पर उसकी मौजूदगी हर दिन महसूस होती थी —
जैसे दिल जानता हो कि कहीं,
कोई है… जो बिलकुल मेरा है, पर मुझे नहीं जानता।
ये कोई अफ़साना नहीं,
ये उस इश्क़ की कहानी है
जिसे जानने से पहले ही,
दिल ने कबूल कर लिया था।"
- शिवांगी विश्वकर्मा