घाघरा में रंगों की बारात लिए,
ओढ़नी में जैसे रेत की बात लिए।
कंगन खनके, पायल बोले,
राजस्थानी लिबास में इतिहास डोले।
चुनरी की छाँव में शर्माए बदन,
जैसे मरुधरा में खिल उठे सावन।
ये पोशाक नहीं बस कपड़ों की बात,
ये है राजपूताना रिवायत की सौगात।
khammaghani saa🙏
kajal Thakur 😊