Hindi Quote in Poem by Baldev Thakor

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“सात सूरजों की पुकार”

मैं खड़ा था एक अनजानी ज़मीं पर,
जहाँ न कोई नाम था, न कोई दिशा।
सात-आठ ग्रह थे मेरी नज़रों में,
हर एक का अपना सूरज, अपनी परिभाषा।

हर सूरज चमक रहा था अलग रंगों में,
कोई लाल, कोई नीला, कोई सुनहरा।
मानो हर जीवन, हर राह की कहानी,
अपनी धूप में छिपाए कोई गहरा ज़हरा।

पर चमक के पीछे कुछ धुंधला था,
जैसे कोई संकट, कोई छाया घिरी हो।
साफ़ नहीं था, पर अहसास था,
जैसे रौशनी खुद डर में डूबी हो।

मैं चुप था, पर मन बोल उठा,
“क्या ये मेरा सपना है या इशारा?”
क्या ये चेतावनी है समय से पहले,
या कोई भूली हुई पुरानी दुहाई प्यारा?

हर सूरज कह रहा था मुझे देखो,
मुझसे सीखो, पर आँख बचा लो।
क्योंकि जहाँ रौशनी होती है सबसे तेज़,
वहीं साया भी सबसे काला होता है, जान लो।

शब्दों के पीछे का भाव:
शायद ये सपना आपको ये बता रहा है कि ज़िंदगी के हर रास्ते में रौशनी तो है, लेकिन उसके पीछे छिपे खतरों को समझना जरूरी है। ये जागरूकता की पुकार है, डराने की नहीं।

_बी.डी.ठाकोर

Hindi Poem by Baldev Thakor : 111984553
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