ये आँखें और पलके रोज संघर्ष करती है,
आंखों को तुम को तकते रहना है,
ये पलके बार बार क्यों पलकती है,
इस बात पर ही ये रोज लड़ती है,
बार बार मेरे मस्तिष्क में उभरते ख्यालों में,
यही वजह से आंख और पलको की टकराव में
ये रोज अकस्मात हो पड़ता है।।।
- ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત